रविवार, 9 अक्टूबर 2011

स्मृति-शेष

प्रोफ़ेसर चबा तोतोशी के आकस्मिक निधन पर भारोपीय अध्ययन विभाग के सभी सदस्य व छात्र अपना शोक तथा परिवार के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हैं।

प्रोफ़ेसर तोतोशी द्वारा न केवल हंगरी में संस्कृत भाषा और साहित्य के अध्ययन की स्थापना हुई, परन्तु उनके मार्गदर्शन के साथ ऐल्ते विश्वविद्यालय में भारोपीय अध्ययन विभाग के अनेक स्नातकों को भारतविद्या के अंतर्राष्ट्रीय केन्द्रों में भी अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसर मिले। प्रोफ़ेसर तोतोशी हंगेरियन अकादमी तथा विश्वविद्यालय की विभिन्न समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य रहे। लेटिन और प्राचीन यूनानी भाषाओं के अध्ययन की दिशा में उनका योगदान अभूतपूर्व है।

प्रोफ़ेसर तोतोशी का आकस्मिक एवं असमय निधन १३ जुलाई को अपनी प्रिय बलतोन झील में हुआ। उनके भाई की शोचनीय मृत्यु भी पहले वहीं हुई थी, फिर भी वे  अक्सर झील में दूर और देर तक तैरने निकलते। उनका कहना था, यह संभव नहीं है कि एक ही परिवार में दो व्यक्तियों का अंत एक ही प्रकार का हो। यद्यपि उनका देहान्त नियति का क्रूर व्यंग्य मान सकते हैं, लेकिन अंततः जैसा हुआ, प्रोफ़ेसर तोतोशी की इच्छानुसार ही हुआ। उनका जीवन स्वास्थ्य और बुद्धि की दृष्टि से सम्पूर्ण होते हुए समाप्त हुआ।



विनम्र श्रद्धांजलि के साथ
भारोपीय अध्ययन विभाग 

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