शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

अंक आठ का आकर्षण,






-- हंगरी में भारत के वर्तमान राजदूत महामहिम गौरी शंकर गुप्ता का हिंदी में लिया गया साक्षात्कार--

गुरुवार, 5 अगस्त 2010

नन्हा राजकुमार, कहानी एक अनुवाद दो

-विराग कातालीन
एक राज कुमार उदास बैठा था। वहाँ एक लोमड़ी आई। उसने कहा- नमस्कार। नमस्कार, नन्हे राजकमार ने विनम्र स्वर में जवाब दिया पर मुड़कर नहीं देखा।
यहाँ हूँ मैं, सेब के पेड़ के नीचे। एक आवाज आई।
तुम कौन हो? -नन्हे राजकुमार ने पूछा,- तुम सुंदर हो...
मैं लोमड़ी हूँ, लोमड़ी ने कहा।
आओ, तुम मेरे साथ खेलो। नन्हें राजकुमार ने अनुरोध किया- मैं बहुत उदास हूँ।
मैं तुम्हारे साथ नहीं खेल सकती- लोमड़ी ने कहा- मुझे अभी तक किसी ने साधा नहीं है।
माफ करो, नन्हे राजकुमार ने कहा। कुछ सोचने के बाद वह बोला- साधा इसका क्या मतलब है
लोमड़ी बोली- इंसानों के पास बंदूक होती है। वे शिकार कर ते हैं। क्या बताऊँ, यह किसी को भी पसंद नहीं आता। इसे अलावा वे मुर्गियाँ पालते हैं। उनकी दिलचस्पी बस इतनी है। क्या तुम भी मुर्गियाँ खोज रहे हो
नन्हे राजकुमार ने उत्तर दिया- नहीं, मैं दोस्त खोज रहा हूँ। साधा इसका क्या मतलब है
यह ऐसा काम हे जो दुनिया परी तरह भूल गई है, लोमड़ी ने कहा- इसका मतलब है- दोस्ती करना।
दोस्ती करना
हाँ अभी तुम मेरे लिए ऐसे लड़के जैसे दूसरे लाखों लड़के हैं। न मुझे तुम्हारी जरूरत है न ही तुम्हें मेरी। तुम्हारे लिए मैं भी अन्य किसी लोमड़ी जैसा हूँ। पर जब तुम मुझे साध लोगे तब हम एक दूसरे की जरूरत बन जाएँगे। तुम मेरे लिए मैं तुम्हारे लिए खास हो जाएँगे, लोमड़ी बोली।
मेरी समझ में आने लगा है, नन्हे राजकुमार ने बताया- एक फूल है लगता है उसने मुझे साध रखा है।
हो सकता है इस धरती पर ऐसी अनेक घटनाएँ होती हैं, लोमड़ी बोली।
यह घटना इस धरती की नहीं है।
लोमड़ी की जिज्ञासा जग गई।
दूसरे ग्रह की है
हाँ।
क्या उस ग्रह पर शिकारी होते हैं
नहीं।
यह तो बहुत रोचक बात है। मुर्गियाँ हैं।
नहीं।
सभी जगहों में कोई-न-कोई कमी होती है। लोमड़ी ने लंबी साँस ली। पर सोचती रही। मेरा जीवन एकरस है। मैं मुर्गियों का शिकार करती हूँ और लोग मेरा। कोई भी मुर्गी दूसरी मुर्गियों जैसी ही होती है और भी इंसान दूसरे जैसा । इसलिए मैं हमेशा उबी रहती हूँ। पर अगर तुम मुझे साध लोगे तो इससे मेरे जीवन में बहार आ जाएगी। मैं ऐसी पदचाप सुनुँगी जो दूसरी पदचापों से अलग होगी। दूसरी पदचापों से मैं धरती के अंदर छिपना चाहती हूँ। तुम्हारी पदचाप संगीत की तरह मुझे गुफा से बाहर बुलाएँगी। देखो, क्या तुम उस गेहूँ के खेत को देख रहे हो... मैं रोटी नहीं खाती, मुझे गेहूँ की जरूरत नहीं है। मुझे गेहूँ का खेत देखकर कुछ भी याद नहीं आता। क्या तुम जानते हो यह बात कितनी उदास करने वाली है.. लेकिन तुमहारे बालसोने से सुंदर है। कितना अच्छा हो कि तुम मुझे साध लो.. तब सोने जैसे गेहूँ देखकर मुझे तुम्हारी याद आएगी। गेहूँ के खेत में हवा की इस आवाज से मैं कितना प्यार करूँगी।।
लोमड़ी चुप हो गई, बहुत देर तक नन्हे राजकुमार को देखती रही। वह फिर बोली-
कृपा करके मुझे साध लो।
मुझे खुशी होती- नन्हे राजकुमार ने कहा- पर मेरे पास समय बहुत कम है। मुझे अपने दोस्तों ढूँढ़ना है। बहुत सारी बातों के बारे में जानना है।
लोग जब किन्हीं चीजों को साधते हैं उनको जान जाते हैं- लोमड़ी ने कहा- लोगों के पास किसी भी चीज को जानने को जानने का समय नहीं है। वे दुकानदारों से बनी बनाई चीजें खरीदते है। पर दोस्त दुकानों पर नही बिकते। इसलिए लोगों के दोस्त कम होते हैं। अगर तुम चाहते हो कि कोई तुम्हारा दोस्त हो तो तुम मुझे साध लो।
ठीक है, ठीक है, पर कैसे।।। नन्हे राजकुमार ने पूछा।
इस काम को करने के लिए बहुत धैर्य की जरूरत होगी- लोमड़ी ने उत्तर दिया। पहले वहाँ घास पर एक निश्चित दूरी पर बैठ जाओ। मैं अपनी आँखों की कोरों तुम्हें देखूँगी, तुम कुछ भी मत बोलना। बातचीत से भ्रम पैदा होत है। इससे हर रोज़ हमारे बीच दूरी कम होगी, धीरे-धीरे तुम मेरे निकट आ सकोगे।
अगले दिन राजकुमार वापस लौटा। लोमड़ी ने उससे कहा- ज्यादा अच्छा होता अगर तुम सही समय पर आते। अगर तुम शाम को चार बजे आओगे मैं तीन बजे से ही खुशी महसूस करने लगूँगी। समय बीतने के साथ-साथ मेरी खुशी भी बढती जाएगी। चार बजे के आस-पास मेरा मन उत्सुकता और चिंता से भरा होगा। मुझे पता चलेगा खुशी कितनी बड़ी बूँजी है। अगर तुम किसी भी समय आ जाओगे, तो मुझे पता नहीं होगा कि अपने मन को कितने बजे सुंदर कपडों से ढकूँ... लोगों को जीने का तरीका जरूर आना चाहिए।
जीने का तरीका , इसका क्या मतलब है.. नन्हे राजकुमार ने पूछा।
जीने का तरीका, ऐसी चीज है जिसे लोगों ने बिल्कुल भुला दिया है। लोमड़ी ने उत्तर दिया- जीने का तरीका एक दिन को दूसरे से, एक घंटे को दूसरे से, अलग करता है। शिकारियों को भी अपना तरीका होत है। वे हर गुरुवार को गाँव की लड़कियों के सॉत नाचने जाते हैं। इस कारण गुरुवार मेरे ले अद्भुत होता ह. तब मैं अंगूर के खेतों तक टहलने जा पाती हूँ। अगर शिकारी किसी भी समय नाचने जाएँ तो हर दिन एक तरह का होगा और मेरी छुट्टियाँ बिल्कुल भी नहीं होंगी।
इस तरह नन्हे राजकुमार ने धीरे-धीरे लोमड़ी को साध लिया जब विदा का समय आने वाला था तो लोमड़ी ने कहा-
मैं रोने लगूँगी।
यह गलत होगा। नन्हे राजकुमार ने कहा मैं तुम्हारे लिए कोई मुश्किल पैदा करना नहीं चाहता। तुमने ही साधने के लिए हठ किया।
हाँ, यह तो सच है। लोमड़ी ने कहा।
फिर भी तुम रोओगी।
हाँ, यह भी सच है- लोमड़ी ने कहा।
इसका मतलब, इस सारी बात का कोई फायदा नहीं हुआ।
हुआ,- लोमड़ी बोली- गेहूँ के रंग से। तुम फिर गुलाबों को देखो। तुम समझ जाओगे कि तुम्हारा गुलाब सारी दुनिया में विशेष है। इसके बाद विदा लेने के लिए लौट आना, तब मैं एक और बात तुम्हें समझाऊँगी।
नन्हा राजकुमार फिर से गुलाबों को देखने गया।
तुम मेरे गुलाब जैसे बिल्कुल नहीं हो,- उनसे कहा- तुम बेकार हो क्योंकि न तुम्हें किसी ने साध और न तुमने ही किसी को साधा। तुम वैसे ही हो जैसी कि मेरी लोमड़ी थी। वह अन्य लाखों लोमड़ियों जैसी आम लोमड़ी थी। लेकिन मैंने उससे दोस्ती कर ली है, वह अब सारी दुनिया से अलग विशेष है।
गुलाब कुलबुलाए, नन्हें राजकुमार ने अपनी बात जारी रखी-
तुम सुंदर तो हो पर खोखले हो, तुम्हारे लिए कोई नहीं मरेगा। यह भी एक सच्चाई है कि आने-जाने वाले लोग मेर गुलाब को तुम्हारे जैसा कहेंगे। पर असल में वह मेरे लिए तुम सबसे ज्यादा कीमती है, क्योंकि मैं उसे सींचता था। उसकी हवा से रक्षा करने लिए मैंन शीशे का कटोरा रखा था। उससे मैंने (दो तीन के अलावा, तितली बनने के लिए) कीड़ों को हटाया था। मैं उसकी शिकायत, शेखी और कभी-कभी उसका मौन भी सुनता था। वह है मेरा गुलाब।
इसके बाद लोमड़ी के पास लौट आया।
दोनों ने एक दूसरे से कहाः
भगवान तुम्हारा भला करे, अलविदा।
लोमड़ी कहने लगी- मेरा यह रहस्य बहुत सरल है, लोग सिर्फ दिल से ही अच्छी तरह देख सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात को आँखें नहीं देख पातीं।
सबसे महत्वपूर्ण बता को आँखए नहीं देख पातीं। नन्हे राजकुमार ने अच्छी तरह याद रखने के लिए दोहराया।
वह वक्त, जिसे तुमने अपने गुलाब की देखभाल में गँवाया, उस वक्त ने ही उस गुलाब को तुम्हारे लिए महत्वपूर्ण बनाया है।
वह वक्त, जिसे मैंने अपने गुलाब की देखभाल में गँवाया, नन्हे राजकुमार ने अच्छी तरह याद रखने के लिए दोहराया।
इस सच्चाई को लोगों ने भुला दिया है- लोमड़ी ने कहा पर तुम मत भूल जाना। उसके लिए तुम हमेशा उत्तरदायी हो जिसे तुमने अपनाया। तुम अपने गुलाब के लिए उत्तरदायी हो...
मैं अपने गुलाब के लिए उत्तरदायी हूँ, नन्हे राजकुमार ने अच्छी तरह याद रखने के लिए दोहराया।
-रीता जुलि शिमोन
छोटा राजकुमार - खण्ड २०
छोटा राजकुमार रेत, पहाड़ों और बर्फ में इधर-उधर बहुत देर तक घूम रहा था और अंत में उसे एक रास्ता मिला.... हर रास्ता लोगों के पास ले जाता है।
-नमस्ते! - उसने कहा।
वह एक खिले हुए गुलाबों की क्यारी के पास खड़ा था।
-नमस्ते! गुलाबों ने कहा।
छोटा राजकुमार उन्हें देखता रहा। वे सब उसके ही गुलाब के प्रतिरूप थे।
-आप सब कौन हैं? उसने आश्चर्य होते हुए गुलाबों से पुछा।
-हम गुलाब हैं। - गुलाबों ने उत्तर दिया।
-अरे! - छोटे राजकुमार ने कहा....और उसे काफी बेचारा लगा। उसके गुलाब ने उसे समझाया की सारी ज़िन्दगी में वह फूलों की इस तरह ही अकेला है। और देखिये, सिर्फ इस क्यारी में उसकी तरह के लगभग पाँच हज़ार गुलाब दिखाई पड़ते हैं।
- "मेरा गुलाब कितना चिंतित होता, अगर वह इसे देखता - छोटे राजकुमार ने मन में सोचा - उसको तेज़ खांसी आती और वैसे करता जैसे कि उसकी मृत्यु आने वाली है ताकि मैं उस पर न हँसूँ। मेरी कोई मज़बूरी नहीं कि उसकी चिंता करूँ। नहीं तो मुझे भी नीचा दिखाने के लिए वह सचमुच मरने के लिए भी तैयार है"
उसके बाद छोटे राजकुमार यह भी सोचा:
"मैं ने विश्वास किया कि मैं अमीर हूँ, मैंने सोचा कि मेरा जैसा गुलाब किसी का नहीं है। और मेरा सिर्फ एक साधारण गुलाब है। और तीन छोटे, घुटने तक ऊँचे ज्वालामुखी और उन में से भी शायद एक हमेशा के लिए समाप्त हो गया। ये सब मुझे बहुत बड़ा राजकुमार नहीं कह सकते"।
और उसने अपने आप को घास पर डाल दिया और रोने लगा।
खण्ड २१
उसी समय लोमड़ी दिखाई पड़ी।
-शुभ प्रभात! - लोमड़ी ने कहा।
-शुभ प्रभात! - छोटे राजकुमार ने भद्रता से उत्तर दिया। वह मुड़ गया लेकिन उसने कुछ नहीं देखा।
-मैं यहाँ हूँ - एक आवाज़ सुनाई दी - सेब के पेड़ के नीचे...
-आप कौन हैं? - छोटे राजकुमार ने पुछा। - आप बहुत सुन्दर हैं।
-मैं लोमड़ी हूँ - लोमड़ी ने कहा।
-आइये, मेरे साथ खेलिए! - छोटे राजकुमार ने उससे सुझाया। - मैं बिलकुल उदास हूँ।
-मैं आपके साथ नहीं खेल सकती। - लोमड़ी ने कहा - मैं पालतू नहीं बनायी गयी हूँ।
-अरे, माफ़ कीजिये! - छोटे राजकुमार ने जवाब दिया।
और कुछ सोचने के बाद उसने आगे बात बढ़ाई:
-पालतू बनाने का क्या मतलब है?
-आप इस देश के नहीं हैं। - लोमड़ी ने कहा। - आप किसकी तलाश कर रहे हैं?
-मैं लोगों की तलाश कर रहा हूँ। - उसने कहा। - पालतू बनाने का क्या मतलब है?
-लोगों के पास बन्दूक है और वे शिकार करते हैं। यह बहुत अप्रिय बात है। वे मुर्गियाँ भी पालते हैं। उन में सिर्फ यह बात रोचक है। आप मुर्गियों कि तलाश कर रहे हैं?
-नहीं, मैं दोस्तों कि तलाश कर रहा हूँ। - छोटे राजकुमार ने कहा - पालतू बनाने का क्या मतलब है?
-यह एक ऐसी बात है जो लोग खूब भूल गए हैं। इसका मतलब है "संबंध बनाना"।
-संबंध बनाना?
-हाँ - लोमड़ी ने कहा - अभी आप मेरे लिए केवल एक छोटे लड़के हैं, लाखों दूसरे लड़कों जैसे लड़के। और आपकी मुझे और मेरी आपको जरूरत नहीं है। आपके लिए मैं एक साधारण लोमड़ी हूँ, लाखों दूसरी जैसी लोमड़ी. लेकिन अगर आप मुझे पालतू बनाते हैं तो हमें एक दूसरे की ज़रुरत होगी। सारी दुनिया में आप मेरे लिए अकेले होंगे। सारी दुनिया में मैं आप के लिए अकेली हूँगी।
-मुझे पता चलने लगा...छोटे राजकुमार ने कहा - मेरा एक फूल है, मैं विश्वास करता हूँ कि उसने मुझे पालतू बनाया है।
-हो सकता है - लोमड़ी ने कहा - लोग ज़मीने पर कितनी अद्भुत बातें देखते हैं!
-अरे यह ज़मीन पर नहीं हुआ! छोटे राजकुमार ने कहा।
लोमड़ी को बड़ी जिज्ञासा होने लगी।
-तो एक दूसरे सितारे पर?
-हाँ।
-क्या शिकारी भी उस सितारे पर रहते हैं?
-नहीं, नहीं।
-बहुत रोचक है। और मुर्गियाँ?
-वे भी नहीं हैं।
-कोई भी निर्दोष नहीं होता है। - लोमड़ी ने रंज किया।
लेकिन लोमड़ी अपने पुराने विचारों की बात करने लगी:
-मेरी ज़िन्दगी एक ही स्वर में चलती रहती है। मैं मुर्गियों का शिकार करती हूँ, लोग मेरा शिकार करते हैं। हर मुर्गी एक जैसी है और सब लोग एक जैसे हैं। इसलिए बहुत ऊब जाती हूँ। लेकिन अगर आप मुझे पालतू बनाते हैं तो मेरी ज़िन्दगी धूप से भरी हो जाएगी। मैं उन कदमों की आहट से पहचान लूँगी जिनको मेरे कान सब दूसरे शोरों से अंतर करके पहचान लेंगे।
दूसरे कदमों के शोर पर मैं खुद ज़मीन के नीचे छिप जाऊँगी। आपके मधुर जैसे कदम मुझे ज़मीन के नीचे वाले बिल से बाहर बुलाएँगे।
और ज़रा सुनिए! क्या आप वे दूर वाले, गेहूँ के खेत देख सकते हैं? मैं तो डबल रोटी नहीं खाता । मुझे गेहू का कोई फ़ायदा नहीं है । गेहूँ वाले खेत मुझे किसी की याद नहीं दिलाते । और यह अफ़सोस की बात है । लेकिन आपके बाल सुनहरे रंग के हैं । सुनहरे रंग के गेहूँ मुझे आपकी याद दिलाएँगे । और मुझे तो बालियों के बीच में सरसराते हुए हलकी हवा का शोर अच्छा लगेगा
लोमड़ी खामोश हो चुकी है और उसने छोटे राजकुमार को देर तक देखा
-कृपया...मुझे पालतू बनाइये! - उसने कहा
-ख़ुशी से बनाऊँगा - छोटे राजकुमार ने जवाब दिया - पर मुझे ज्यादा खाली समय नहीं मिलता । मुझे दोस्तों को ढूँढना है और मुझे बहुत बातें जाननी हैं
-लोगों को सिर्फ वे बातें पता चलेंगी जिनको उन्होंने पालतू बनाया है । - लोमड़ी ने कहा - लोगों को किसी को जानने का समय ही नहीं मिलता । वे व्यापारियों से पहले से बनी हुई चीजें खरीद लेते हैं । चूँकि व्यापारी दोस्त नहीं बेचते, इसलिए लोगों के दोस्त नहीं होते हैं । अगर आप दोस्ती चाहते हैं तो मुझे पालतू बनाइये!
-वह मैं कैसे करूँ? - छोटे राजकुमार ने पुछा
-आपको बहुत सहनशीलता की जरूरत होगी- लोमड़ी ने कहा।
-सब से पहले आप मुझसे दूर बैठ जाएँगे, ऐसे, घास में। मैं आप को देखती रहूँगी, आप कुछ नहीं कहेंगे। बातचीत मिथ्याबोध का मूल है। लेकिन आप रोज़ मेरी पास-पास बैठ सकते हैं।
अगले दिन छोटा राजकुमार वापस आया
-यह ज्यादा अच्छा हुआ होता अगर आप आज भी उसी वक्त आये होते। अगर, मान लीजिये ४ बजे शाम को पहुँचेंगे तो मैं ३ बजे से ही खुश होने लगूँगी। जैसे समय बीतता जाएगा, मैं भी और खुश होता जाऊँगा। ४ बजे मुझे कंपन होगा और बेचेनी लगेगी, मैं खुशी की कीमत जांच लूंगी। लेकिन अगर आप तो अनिश्चित समय पर आये तो मुझे कभी नहीं पता चलेगा मैं अपना दिल कितने बजे प्रसन्न करूँ। नियमों की ज़रुरत तो होती है।
-नियम क्या है? - छोटे राजकुमार ने पुछा
-यह भी एक ऐसी बात है जिसको लोग खूब भूल गए। नियम बनाता है की एक दिन या एक समय दूसरे से अलग होता है। नमूने के लिए, मेरे शिकारी का नियम तो है। हर गुरूवार को वे गाँव वाली लड़कियों के साथ नाचते हैं। इसीलिए गुरूवार एक खूबसूरत दिन है। मैं अंगूर के खेतों तक भी आ जाती हूँ। अगर शिकारी किसी भी दिन नाचते तो हर दिन एक सा होता और मुझे आराम वाला दिन कभी नहीं मिलता।
छोटे राजकुमार ने लोमड़ी को इस तरह पालतू बना लिया। और जब अलग होने का समय आया:
-अरे - लोमड़ी ने कहा - मैं तो रो दूँगी
-यह तो तुम्हारी गलती है - छोटे राजकुमार ने उत्तर दिया - मैं नहीं चाहा कि तुम उदास हो जाओ, तुम्हें पालतू बनाना तो तुम्हारी मर्ज़ी थी।
-सच है। - लोमड़ी ने कहा।
-लेकिन तुम रो दोगी
-रो दूँगी
-तो इसका मतलब क्या था तुम्हारे लिए?
-मतलब था क्योंकि गेहूँ सुनहरा है
उसके बाद उसने आगे बताया:
-अब जाओ, उस गुलाब को एक बार और देख लो। तुम समझ जाओगे कि सारी दुनिया में वैसा कोई नहीं है जैसा कि तुम्हारा गुलाब। उसके बाद मेरे पास विदा लेने लौट आना और मैं तुम्हें उपहार में एक राज़ बताऊँगा।
छोटा राजकुमार फिर गुलाब देखने गया
-अरे आप गुलाब तो मेरे गुलाब का प्रतिरूप नहीं हैं - उसने उनसे कहा। अभी आपका महत्त्व मेरे लिए नहीं है। आपको अभी किसी ने पालतू नहीं बनाया और आप ने भी किसी को पालतू नहीं बनाया। आप ऐसे हैं जैसे मेरी लोमड़ी थी। हज़ारों ऐसी लोमड़ियाँ तो हैं। लेकिन मैंने उसे अपने दोस्त बना लिया और अब वह सिर्फ मेरे लिए विशेष है, सारी दुनिया में।
गुलाब बहुत लज्जित हो गए
-आप सुन्दर तो हैं लेकिन बेकार हैं। आपके लिए कोई मर नहीं सकता। एक साधारण यात्री भी मेरे गुलाब के बारे में सोचता कि वह आपका प्रतिरूप है। लेकिन वह अकेला मेरे लिए आपसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मैंने उसको पानी दिया, क्योंकि मैं उस पर एक सुरक्षा गिलास रखा करता था। क्योंकि मैंने उसको आँधी से रक्षा की, क्योंकि मैंने उसके कीट मारे (छोड़ कर वे दो-तीन तितलियों के कारण), क्योंकि मैंने उसकी फरियाद सुनी, उसके अंहकार को और कभी उसकी शांति को झेला, क्योंकि वह...मेरा गुलाब है।
और वह लोमड़ी के पास लौटा
- अलविदा! - उसने कहा
- अलविदा! - लोमड़ी ने कहा - यह मेरा राज़ है। सरल है: लोग सिर्फ अपने दिल से अच्छे देख सकते हैं। जो महत्त्वपूर्ण है वह आँखों के लिए अदृश्य रहता है।
-महत्त्वपूर्ण है वह आँखों के लिए अदृश्य रहता है - छोटा राजकुमार कहता रहा ताकि वह इसको याद रख सके।
-वह समय जो तुमने अपने गुलाब की चिंता करने में बिताया, वह इसको महत्त्वपूर्ण बनाता है
-वह समय जो तुमने अपने गुलाब की चिंता करने में बिताया...- छोटे राजकुमार कहता रहा ताकि वह इसको याद रख सके।
-लोग यह सत्य भूल गए हैं। लेकिन तुम्हें नहीं भूलना चाहिए। तुम हमेशा उनके लिए ज़िम्मेदार होते हो जिनको तुमने पालतू बनाया। तुम अपने गुलाब के ज़िम्मेदार हो।
- मैं अपने गुलाब का ज़िम्मेदार हूँ - छोटा राजकुमार कहता रहा ताकि वह इनको याद रख सके।