गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

प्रयास १२ - क्रिसमस अंक

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रविवार, 9 अक्तूबर 2011

स्मृति-शेष

प्रोफ़ेसर चबा तोतोशी के आकस्मिक निधन पर भारोपीय अध्ययन विभाग के सभी सदस्य व छात्र अपना शोक तथा परिवार के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हैं।

प्रोफ़ेसर तोतोशी द्वारा न केवल हंगरी में संस्कृत भाषा और साहित्य के अध्ययन की स्थापना हुई, परन्तु उनके मार्गदर्शन के साथ ऐल्ते विश्वविद्यालय में भारोपीय अध्ययन विभाग के अनेक स्नातकों को भारतविद्या के अंतर्राष्ट्रीय केन्द्रों में भी अपनी प्रतिभा दिखाने के अवसर मिले। प्रोफ़ेसर तोतोशी हंगेरियन अकादमी तथा विश्वविद्यालय की विभिन्न समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य रहे। लेटिन और प्राचीन यूनानी भाषाओं के अध्ययन की दिशा में उनका योगदान अभूतपूर्व है।

प्रोफ़ेसर तोतोशी का आकस्मिक एवं असमय निधन १३ जुलाई को अपनी प्रिय बलतोन झील में हुआ। उनके भाई की शोचनीय मृत्यु भी पहले वहीं हुई थी, फिर भी वे  अक्सर झील में दूर और देर तक तैरने निकलते। उनका कहना था, यह संभव नहीं है कि एक ही परिवार में दो व्यक्तियों का अंत एक ही प्रकार का हो। यद्यपि उनका देहान्त नियति का क्रूर व्यंग्य मान सकते हैं, लेकिन अंततः जैसा हुआ, प्रोफ़ेसर तोतोशी की इच्छानुसार ही हुआ। उनका जीवन स्वास्थ्य और बुद्धि की दृष्टि से सम्पूर्ण होते हुए समाप्त हुआ।



विनम्र श्रद्धांजलि के साथ
भारोपीय अध्ययन विभाग 

शनिवार, 30 अप्रैल 2011

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

छोटा राज कुमार

शिमोन रीता

छोटे राज कुमार की कहानी मेरी मनपसंद कहानी है.मुझे अभी भी याद है जब प्रारंभिक विद्यालय में अध्यापिका ने उसे पढने को कहा. छोटे सर्ग,सरल भाषा और चित्र.एक छोटे लडके के आत्म की दुनिया जो कठिन दिखती है और फिर भी उतनी सहज है कि हम उससे प्यार करने लगते हैं.
यह दुनिया एक बच्चे की है और उसमें सब मिलता है –मनुष्यों का सम्बन्ध,मित्रों की जिम्मेदारी विश्वास,प्यार जिसके बारे में हमें जानना चाहिए.छोटे राजकुमार का एक गुलाब है.वह बहुत प्यार और सावधानी से उसकी देखभाल करता है.उसके बाद छह राज कुमार और लोमडी की मुलाक़ात होती है.उनका सम्बन्ध बहुत विशेष है.एक अनजान जानवर से दोस्ती करना एक बिलकुल अजीब विचार है.लेकिन छह राज कुमारों के लिए नहीं.इस स्थिति में दोस्ती का मापदंड नहीं है.
लोमडी का एक नया जीवन शुरू होता है जब छह राजकुमार उसे अपना दोस्त बनाते हैं.गेंहू के खेत देख कर प्यारे दोस्त की याद आती है.
विदा लेते हुए लोमडी एक राज़ बताती है कि जो चीजें तुम देखते हो वह सब बेकार हैं,पर जो हमारे दिल में हैं वे महत्त्वपूर्ण हैं.
जब मेरा दोस्त मुझसे लड़ाई करता है तो मैं हमेशा उससे पूछती हूं कि क्या तुमने छोटे राज कुमार को पढ़ा?और जब उसका उत्तर नहीं होता है तो मैं उसे समझाती हूं कि हां अगर तुमने उस कहानी को पढ़ा होता तो तुम्हें मालूम होता कि लड़कियो का दिल एक फूल (गुलाब )है.तुम इस तरह उसे तोड़ नहीं सकते.
छह राज कुमारों का दिल अनुभवों से भरपूर था और यह बताने का एक अच्छा उदाहरण है कि दोस्तों के साथ बिताया गया हर क्षण मूल्यवान है.
इस कहानी में एक बड़ा मनुष्य भी है जो उड़ने वाला है.छह राज कुमारों के विचित्र प्रश्न उसकी आँख खोलते हैं और उसका जीवन बदल जाता है.
इस कहानी में एक बच्चा बड़े व्यक्ति को उपदेश देता है.इसलिए मैं कहना चाहती हूं कि बचपन कभी कभी उच्च हो सकता है.

उड़ो मेरे जहाज न डरो मेरे जहाज

यंका जोबोकि

हंगेरियन कविता में एक सबसे बड़े कवि ऐन्द्री अदि हैं.उन्होंने आधुनिक हंगेरियन साहित्य बनाया.
ये उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के कवि हैं.लोगों ने उन पर आक्रमण किया, उनके बारे में कहा कि:
अदि अधर्मी है
उसका प्यार पवित्र नहीं है
उसे उसकी जन्म भूमि पसंद नहीं करती.
लोगों ने उसकी कविता को नहीं समझा.लेकिन उसके लिए उसका देश हंगरी बहुत महत्त्व पूर्ण था.
उसकी प्रेमिका लेदा थी.लेदा का पति भी था.अदि और लेदा का रिश्ता ...था.कभी वे एक दूसरे की आराधना करते कभी वे एक दूसरे को घृणा करते.
उसकी एक अन्य अनुरागी चिन्सका थी.यह अदि की एक प्रशंसक थी.अदि बीमार थे पर चिन्सका के पास आराम से रहते थे.
अदि कवि ही नहीं बल्कि पत्रकार भी था.उसका काम बड़ा है और उसकी कविता में संगीत है.
जब मैं अदि को पढती हूं तो अपने को भाग्यवान समझती हूं,क्योंकि मैं हंगेरियन हूं.

मेरे शौक

ओलिविया

आमतौर से मुझे आराम करने के लिए कम समय मिलता है.मैं छात्रा हूं और ऐल्ते विश्वविद्यालय में अरबी और हिन्दी भाषाएं पढती हूं.मैं भाषा-विज्ञान में रूचि लेती हूं.
मुझे कई शौक हैं.मुझे कसरत करना बहुत पसंद है.मैं खेल पसंद करती हूं.एक सप्ताह में कम से कम पांच बार कोई खेल खेलती हूं.विशेष रूप से मुझे दौडना पसंद है.
हर वर्ष गर्मियों में मैं सपरिवार बलातोंन जाती हूं.हमारा एक घर बलातौन के नज़दीक है.जहां हम गर्मियों की छुट्टियां बिताते हैं.तालाब तट पर मैं धूप खाने तथा तालाब में तैरने में  बहुत आनन्द लेती हूं.
अवकाश में मैं इधर उधर के उपन्यास और कहानियां भी पढती हूं.लेकिन मैं कभी कभी सहेलियों के साथ सिनेमा जाती हूं.खास तौर से मुझे कामदी पसंद है.मुझे प्रकृति की सैर करने में भी मज़ा आता है.शाम के समय मैं अक्सर पियानो बजाती हूं. 

बलतोन

अनिता हरग

हंगरी की एक सबसे बड़ी झील बलतोन है, जिसे लोग हंगेरियन समुद्र कहते हैं. गर्मियों में दूर-दूर से लोग बलतोन आते हैं, और अपनी छुट्टियाँ यहाँ बिताते हैं. पर्यटक बलतोन को बहुत पसंद करते हैं, वे मनोरंजन के लिए यहाँ आते हैं, जैसे लोग यहाँ पानी में तैरते हैं, धूप खाते हैं, तथा झील के तट पर पिकनिक करते हैं. इसके अलावा कई लोग बलतोन पर नाव चलाकर या तालाब तट पर बैठकर मछली पकड़ते हैं. कुछ लोग पेड़ों की छाया में आराम करके किताबें पढते हैं या ताश खेलते हैं. यहाँ जानेवाले लोग मुख्य रूप से बलतोन के एक शहर में किराए के मकान में रहते हैं. बलतोन के पास शहर है, जहाँ पर्यटक आराम करने क कारण आते हैं. मुख्य शहर शिओफ़ोक है, यहाँ तरह-तरह के रेस्तराँ हैं, जहाँ लोग बढ़िया खाना खाते हैं, और दुकानों में चीजें खरीदते हैं. बलतोन हंगरी में पर्यटकों की एक प्रिय जगह है. यह सर्दियों में भी बहुत सुन्दर है, लेकिन विशेष रूप से गर्मियों में लोगो को पसंद आता है. वे बलतोन के पास शहर में रेल से आते हैं.

बचपन: जीवन का सबसे अच्छा समय? - संकलन

लीविया त्रैशत्यांस्कि

एक दिन कक्षा में बातचीत का विषय था कि क्या बचपन हमारे जीवन का सबसे अच्छा समय है? इस विषय पर मुख़्तलिफ़ ख्याल थे.
मेरे विचार से हमारे जीवन में बचपन सबसे अच्छा समय है, क्योंकि जब हम छोटे बच्चे हैं, तो हमें बहुत तकलीफ नहीं है, माता-पिता बहुत काम करते हैं, इसलिए हमारे पास सब लाज़िमी चीज़ है. बच्चों को शायद सिर्फ स्कूल जाना मुश्किल होता है, मैं सोचती हूँ कि बचपन मस्त समय है.
पेतैर सालैर के विचार से जब हम बच्चे हैं, तब हमेशा बड़े होना चाहते हैं, लेकिन जब हम बड़े हैं, तब बच्चे होना चाहते हैं.
दियाना  सोचती है कि बचपन अच्छा है, पर सबसे अच्छा नहीं है. जब वह बच्ची थी, वह हमेशा अपनी माताजी व बड़ी बहन की तरह होना चाहती थी.
अनिता भी सोचती है कि बचपन भला तो है, लेकिन बचपन में वह अपने भाई से बहुत लड़ाई करती थी, लेकिन अब लड़ाई नहीं होती, इसलिए यह जीवन अच्छा है.
किराय पेतैर अपने बचपन में अपने दादा-दादी के पास गाँव में बहुत वक़्त बिताता था, उसको बचपन पसंद था.
लौरा को बचपन बहुत पसंद नहीं है, क्योकि उसके बचपन में हंगरी बहुत अलग था. गाँव में उसके पास बहुत दोस्त नहीं थे और वह ऊबी थी.
सब लोग बचपन के बारे में भिन्न सोचते हैं, पर यह तो सच है कि सब लोगों की जिंदगी में बचपन महत्त्वपूर्ण है,

मृत्यु भारत में और हंगरी में

बैत्तिना बकोश

आजकल मैं मौत के बारे मैं बहुत कुछ सोच रही हूँ और अपनी माताजी से कई बार बातचीत करती हूँ, क्योंकि दादीजी बहुत बीमार हैं. 

हमारे देश में दफ़न कब्रिस्तान में होता है,सब लोग बहुत दुखी और बहुधा रोने लगते हैं. हंगेरियन लोग सोचते हैं कि जीवन मौत के साथ खत्म हो गया है. इसके प्रतिकूल हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद तुरंत गंगा तट पर  दाह संस्कार किया जाता है. इस संस्कार में आग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, जो मृत का सबसे बड़ा पुत्र जलाता है, फिर वे खाना खाते हैं. भारतीय लोग पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं. जहाँ तक मेरा सम्बन्ध है, मैं मौत के विषय में भारतीय रूप में सोचना चाहती हूँ.  

कपोश्वार

पेतैर सालैर

मेरी दादी जी कपोश्वार में रहती हैं| कपोश्वार पश्चिम-हंगेरी का एक प्रसिद्ध शहर है| यह नगर शोमोग्य मैग्ये (एक हंगेरियन प्रदेश) की राजधानी है| इस शहर में एक छोटी नदी बहती है, जिस का नाम कपोश है| मैं गर्मियों में यहाँ अक्सर जाता हूँ|

सब से पहले मेरे ख़याल से कपोश्वार एक बहुत सुन्दर, लेकिन छोटा नगर है| हंगेरियन लोग आम तौर से कपोश्वार जानते हैं, क्योंकि यहाँ एक बहुत प्रसिद्ध थियेटर है| इस थियेटर की इमारत विशेष रूप से सुन्दर है| कपोश्वार के थियेटर से कई अच्छे अभिनेता बुदापैश्त गये हैं|

इस शहर में कई मशहूर चित्रकार भी रहे थे| मुख्य रूप से रिप्प्ल-रोनाई का घर प्रसिद्द है| यह तो बहुत सुन्दर है| कपोश्वार का केन्द्र भी देखते ही बनता है| यहाँ एक बड़ा चर्च और एक सुन्दर फव्वारा है| वैसे कपोश्वार में अधिक फव्वारे हैं और इन फव्वारों के आस-पास यहाँ वाले लोगों को टहलना बहुत पसंद है|

इस नगर में एक बढ़िया तरण-ताल पड़ता है| मुझे यह तरण-ताल बहुत पसंद है| कपोश्वार के आस-पास एक तालाब भी है, जिस का नाम दैशैदा है| यहाँ मेरे दादा जी ने मछलियाँ पकडीं थीं| इस तालाब में गर्मियों के दिनों में लोग नहाते भी हैं| कपोश्वार में रहने वाले इस तालाब के तट पर अक्सर घूमते हैं|

मेरी कॉलोनी

पेतैर सालैर

बुदापैश्त में २३ कालोनियां हैं| मैं सपरिवार १७वीं कालोनी में रहता हूँ| इस बस्ती का नाम राकोश्मैनते है| यह बुदापैश्त की एक बहुत बड़ी कालोनी है, तथा राजधानी के पूर्वी भाग में लगती है| प्राचीन वक्त में यहाँ पञ्च गाँव थेलेकिन ये गाँव अब बुदापैश्त की १७वीं कालोनी के भाग हैं|

वैसे मेरा इलाका बुदापैश्त के केन्द्र से और विश्वविद्यालय से भी बहुत दूर है| मुझे अक्सर केन्द्र जाना विशेष रूप से मुश्किल हैलेकिन मुझे यहाँ रहना फिर भी पसंद है| यहाँ भीड़ भाड़ बड़ी नहीं है और मेरे आस-पास विशेष रूप से सुन्दर है|

मेरे इलाके में एक तालाब और दो छोटे जंगल भी हैं| मैं इस तालाब के तट पर टहलना पसंद करता हूँ| हमें कभी-कभी तट पर प्यारे कछुए मिलते हैं| सर्दियों के दिनों में हम यहाँ बरफ हाकी खेलते हैं| कालोनी के जंगलों में हम चिडियाँ देखने जाते हैं|

हमारे आस-पास एक छोटी नदी भी रस्ते में पड़ती हैजिस का नाम राकोश है| इस नदी में बहुत साल पहले केकड़े थे| नदी के तट सुन्दर हैऔर कालोनी में रहने वालों को अच्छा लगता है| स्कूल के बाद लड़के और लड़कियां यहाँ बैठ-मिलते हैं|

हमारी बस्ती में कई सुन्दर इमारतें और चर्च भी हैं| मेरे ख़याल से ये देखते ही बनते हैं| यहाँ के एक चर्च में हंगेरी के प्रसिद्ध लेखर अर्थात योकई मोर की शादी हुई थी|

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

मिस्री इन्कलाब

लिविया 

मिस्री इन्कलाब २५ जनवरी को ट्यूनिसिया के जुलूस के बाद शुरू हुआ.मिस्र की राजधानी काहिरा में सबसे बड़े प्रदर्शन थे.लेकिन मिस्र के और भी  बड़े शहरों में जुलूस थे.प्रदर्शकों ने मिस्री हुकूमत व होस्नी मुबारक के विरुद्ध बगावत की.मिस्र अरबी दुनिया का सबसे जनपूर्ण देश है.नील के किनारे-किनारे तकरीबन अस्सी दस लाख लोग रहते हैं.मिस्र में बदकिस्मती से बहुत सामाजिक समस्या है जैसे बेकारी,घूसखोरी,गरीबी आदि.मिस्र के प्रदर्शकों की  प्रेरणाएं राजनीतिक और न्यायिक थी जैसे बेकारी,स्वाधीन चुनाव की कमी आदि.
प्रदर्शकों ने स्वतंत्रता,सचाई,होस्नी मुबारक का इस्तीफा और नई हुकूमत को माँगा.
इन्कलाब का आख़िरी दिन २२ फरवरी को था,जब होस्नी मुबारक ने पद त्याग किया व काहिरा छोड़ कर भागा.मुबारक के इस्तीफे के बाद तमाम देश ने मनाया.
इन्कलाब में तीन सौ से अधिक लोग मर गए.बहुत घायल हुए.अर्थ तंत्र में भी बहुत हानियां उत्पन्न हुई.
क्रान्ति में इन्टरनेट,मीडिया,फेसबुक आदि की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी,क्योंकि प्रदर्शकों ने सन्देश इन पर दिए.इसलिए हुकूमत ने इंटरनेट के इस्तेमाल में रुकावट डाली.
मिस्र के बाद अन्य इस्लामी देशों में भी क्रान्ति भड़की.जैसे बहरीन,सीरिया,जोर्डन,लीबिया.
मैं बहुत आशा करती हूं कि मिस्र और अन्य अरबी देशों में क्रान्ति के कुछ असर ह़ो जाएंगे और आमूल परिवर्तन घटेंगे.

मंगलवार, 5 अप्रैल 2011

हंगरी में हिन्दी दिवस

विजया  सती 


चार फरवरी को बुदापैश्त में भारतीय दूतावास के नवनिर्मित सांस्कृतिक केंद्र में हिन्दी दिवस समारोह मनाया गया,जिसमें प्रमुख रूप से ऐलते विश्वविद्यालय के भारोपीय भाषा विभाग के छात्रों ने भाग लिया.
राजदूत श्री गौरी शंकर गुप्त जी की उपस्थिति में कार्यक्रम का आरम्भ गणेश वन्दना से हुआ.राजदूत महोदय ने हिन्दी के शब्द-संसार,उसके उच्चारण की विशेषता के साथ विश्व में हिन्दी की उपस्थिति का रेखांकन किया.इस अवसर पर उन्होंने भारत के प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी के सन्देश को भी पढ़ा.
इस अभिभाषण के बाद ऐलते विश्वविद्यालय में हिन्दी की विजिटिंग प्रोफ़ेसर डॉ विजया सती ने अपना परिचय देते हुए अपनी कविता के माध्यम से भाषा की उस ताकत को रेखांकित किया जो व्यक्ति को व्यक्ति और समाज से सहज ही जोड़ देती है.
कार्यक्रम का संचालन क्रिस्तीना और शागी पैतेर ने किया तथा दानियल बलोग ने अनुवादक की भूमिका निभाई.
हंगरी में हिन्दी की मशाल को अनवरत जलाए रखने को समर्पित डॉ मारिया नेज्येशी ने भारोपीय विभाग की भित्ति पत्रिका 'प्रयास' की प्रति राजदूत महोदय को भेंट की,इसके साथ ही उन्होंने हिन्दी दिवस से सम्बद्ध पिछले पंद्रह वर्षों के कार्यों की सी डी भी उन्हें भेंट की.
हंगरी में भारतीय समाज तथा भारतीय दूतावास की महिलाओं ने भारत के विभिन्न प्रान्तों की वेशभूषा पहन कर मस्ती भरा गीत - जिन्दगी एक सफ़र है सुहाना,यहाँ कल क्या ह़ो किसने जाना- प्रस्तुत किया,जिसे बहुत सराहना मिली.दो हंगेरियन बालाओं ने भरतनाट्यम की सुन्दर प्रस्तुति दी.श्रीमती युदित कोहुत ने गीतांजलि से कविता पाठ किया.दियाना तुरि ने कुंवर नारायण की कविता 'लापता का हुलिया', यूलिया इजाक ने  'पत्थर', रसिका न्यिस्तोर ने  'नाव में नदिया' ब्लांका वेगहैयी ने अज्ञेय की दो कविताओं -'चिड़िया की कहानी' और 'मैंने देखा एक बूँद' का पाठ किया.पैतेर सालैर ने सधे हुए स्वर में हंगरी के कवि चोकोनई की 'शपथ' कविता का पाठ किया.
दूतावास के नन्हे बालक हर्ष ने 'कदम कदम बढाए जा' गीत गर्मजोशी से गाया.दूतावास से ही श्री यशपाल जी ने मधुर स्वर में 'धरती की बेचैनी केवल बादल समझता है' गीत गाया.संजू जोन ने भी गीत प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम के उस समूह नृत्य को बहुत सराहा गया जो बोलीवुड डांस के रूप में दो गीतों पर किया गया. 
अभी कार्यक्रम का रोचक अंश बाकी था,जो दो नाटकों की मंच प्रस्तुति से सम्बन्ध रखता है.पहला नाटक था - 'बुदा में कुत्तों का बाज़ार सिर्फ एक बार' और दूसरा 'चालाक नौकर'.नाटक में सात छात्रों का अभिनय देखते ही बनता था.
कार्यक्रम के दौरान ही कैलीग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन भी हुआ तथा सर्वश्रेष्ठ कैलीग्राफी के लिए तीन पुरस्कार भी दिए गए.
विभाग में विशेष स्थान पाने वाले छात्रों,कार्यक्रम का संचालन करने वाले छात्रों तथा मारिया जी को उनके समग्र आयोजन के लिए दूतावास की ओर से प्रतीक चिन्ह प्रदान किए गए.पूरे कार्यक्रम में औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से हिन्दी सीखने वाले हंगरी निवासियों का उल्लास देखते ही बनता था.
समारोह में भारतीय तथा हंगरी के कला प्रेमियों की उपस्थिति उत्साहवर्धक रही.
सामूहिक भोज के साथ समारोह संपन्न हुआ. 

मेरा बचपन

लौरा लुकाच

मेरा बचपन काफ़ी उदास था, कम से कम मुझे उसकी याद ऐसे तो आती है । उस समय में हंगेरी अलग देश था क्योंकि आज के देश से कम रंग-बिरंगा और ज़्यादा उबाऊ देश था । लोग अपने आपको आज़ाद नहीं समझते थे और वे अधिकतर ग़रीब थे । दुकानों में ख़रीदने के लिऐ कम माल थे और पश्चिमी देशों की यात्रा करना बहुत मुश्किल था । 
     मैं अपने परिवार के साथ जैसे मेरे पिताजी, माताजी और दादी जी बुदापैश्त में रहती थी लेकिन गरमियों की छुट्टियाँ नानी जी के पास गाँव में बिताती थी । वहाँ मुझे दोस्त या सहेलियाँ नहीं थीं, इसलिए मैं अकेली थी । जब मैं ज़्यादा बड़ी थी, मैं कई किताबें पढ़ती थी और अकसर साइकिल चलाती थी ।
     मेरे पिताजी लेखक, पत्रकार और अनुवादक थे । जीवन सरल नहीं था, हम भी काफ़ी ग़रीब थे लेकिन हमें खाना हमेशा मिलता था । कभी-कभी मेरे जूते और कपड़े छोटे लगते थे ।
     अच्छी चीज़ें भी थीं जैसे सस्ती किताबें और दूसरी संस्कृति की आसानी से लाने के लिए वस्तु ।

छोटा राज कुमार


शिमोन रिता

छोटे राज कुमार की कहानी मेरी मनपसंद कहानी है.मुझे अभी भी याद है जब प्रारंभिक विद्यालय में अध्यापिका ने उसे पढने को कहा. छोटे सर्ग,सरल भाषा और चित्र.एक छोटे लडके के आत्म की दुनिया जो कठिन दिखती है और फिर भी उतनी सहज है कि हम उससे प्यार करने लगते हैं.
यह दुनिया एक बच्चे की है और उसमें सब मिलता है –मनुष्यों का सम्बन्ध,मित्रों की जिम्मेदारी विश्वास,प्यार जिसके बारे में हमें जानना चाहिए.छोटे राजकुमार का एक गुलाब है.वह बहुत प्यार और सावधानी से उसकी देखभाल करता है.उसके बाद छह राज कुमार और लोमडी की मुलाक़ात होती है.उनका सम्बन्ध बहुत विशेष है.एक अनजान जानवर से दोस्ती करना एक बिलकुल अजीब विचार है.लेकिन छह राज कुमारों के लिए नहीं.इस स्थिति में दोस्ती का मापदंड नहीं है.
लोमडी का एक नया जीवन शुरू होता है जब छह राजकुमार उसे अपना दोस्त बनाते हैं.गेंहू के खेत देख कर प्यारे दोस्त की याद आती है.
विदा लेते हुए लोमडी एक राज़ बताती है कि जो चीजें तुम देखते हो वह सब बेकार हैं,पर जो हमारे दिल में हैं वे महत्त्वपूर्ण हैं.
जब मेरा दोस्त मुझसे लड़ाई करता है तो मैं हमेशा उससे पूछती हूं कि क्या तुमने छोटे राज कुमार को पढ़ा?और जब उसका उत्तर नहीं होता है तो मैं उसे समझाती हूं कि हां अगर तुमने उस कहानी को पढ़ा होता तो तुम्हें मालूम होता कि लड़कियो का दिल एक फूल (गुलाब )है.तुम इस तरह उसे तोड़ नहीं सकते.
छह राज कुमारों का दिल अनुभवों से भरपूर था और यह बताने का एक अच्छा उदाहरण है कि दोस्तों के साथ बिताया गया हर क्षण मूल्यवान है.
इस कहानी में एक बड़ा मनुष्य भी है जो उड़ने वाला है.छह राज कुमारों के विचित्र प्रश्न उसकी आँख खोलते हैं और उसका जीवन बदल जाता है.
इस कहानी में एक बच्चा बड़े व्यक्ति को उपदेश देता है.इसलिए मैं कहना चाहती हूं कि बचपन कभी कभी उच्च हो सकता है.

उड़ो मेरे जहाज न डरो मेरे जहाज


यंका जोबोकि

हंगेरियन कविता में एक सबसे बड़े कवि ऐन्द्री अदि हैं.उन्होंने आधुनिक हंगेरियन साहित्य बनाया.
ये उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के कवि हैं.लोगों ने उन पर आक्रमण किया, उनके बारे में कहा कि:
अदि अधर्मी है
उसका प्यार पवित्र नहीं है
उसे उसकी जन्म भूमि पसंद नहीं करती.
लोगों ने उसकी कविता को नहीं समझा.लेकिन उसके लिए उसका देश हंगरी बहुत महत्त्व पूर्ण था.
उसकी प्रेमिका लेदा थी.लेदा का पति भी था.अदि और लेदा का रिश्ता अजीब था.कभी वे एक दूसरे की आराधना करते कभी वे एक दूसरे को घृणा करते.
उसकी एक अन्य अनुरागी चिन्सका थी.यह अदि की एक प्रशंसक थी.अदि बीमार थे पर चिन्सका के पास आराम से रहते थे.
अदि कवि ही नहीं बल्कि पत्रकार भी था.उसका काम बड़ा है और उसकी कविता में संगीत है.
जब मैं अदि को पढती हूं तो अपने को भाग्यवान समझती हूं,क्योंकि मैं हंगेरियन हूं.