बुधवार, 6 अप्रैल 2011

मिस्री इन्कलाब

लिविया 

मिस्री इन्कलाब २५ जनवरी को ट्यूनिसिया के जुलूस के बाद शुरू हुआ.मिस्र की राजधानी काहिरा में सबसे बड़े प्रदर्शन थे.लेकिन मिस्र के और भी  बड़े शहरों में जुलूस थे.प्रदर्शकों ने मिस्री हुकूमत व होस्नी मुबारक के विरुद्ध बगावत की.मिस्र अरबी दुनिया का सबसे जनपूर्ण देश है.नील के किनारे-किनारे तकरीबन अस्सी दस लाख लोग रहते हैं.मिस्र में बदकिस्मती से बहुत सामाजिक समस्या है जैसे बेकारी,घूसखोरी,गरीबी आदि.मिस्र के प्रदर्शकों की  प्रेरणाएं राजनीतिक और न्यायिक थी जैसे बेकारी,स्वाधीन चुनाव की कमी आदि.
प्रदर्शकों ने स्वतंत्रता,सचाई,होस्नी मुबारक का इस्तीफा और नई हुकूमत को माँगा.
इन्कलाब का आख़िरी दिन २२ फरवरी को था,जब होस्नी मुबारक ने पद त्याग किया व काहिरा छोड़ कर भागा.मुबारक के इस्तीफे के बाद तमाम देश ने मनाया.
इन्कलाब में तीन सौ से अधिक लोग मर गए.बहुत घायल हुए.अर्थ तंत्र में भी बहुत हानियां उत्पन्न हुई.
क्रान्ति में इन्टरनेट,मीडिया,फेसबुक आदि की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी,क्योंकि प्रदर्शकों ने सन्देश इन पर दिए.इसलिए हुकूमत ने इंटरनेट के इस्तेमाल में रुकावट डाली.
मिस्र के बाद अन्य इस्लामी देशों में भी क्रान्ति भड़की.जैसे बहरीन,सीरिया,जोर्डन,लीबिया.
मैं बहुत आशा करती हूं कि मिस्र और अन्य अरबी देशों में क्रान्ति के कुछ असर ह़ो जाएंगे और आमूल परिवर्तन घटेंगे.

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