अनुवाद- अन्ना शिमोन
इस दुनिया में एक राजा था और उसकी तीन बेटियाँ थीं। एक बार उसने उन्हें जंगल में हिसालू इकट्ठे करने के लिए भेजा। उसने उनसे कहा: जो सबसे जल्दी से अपनी टोकरी पूरी भरेगी, उसके लिए वह सबसे सुन्दर कपड़े खरीदेगा।
वैसे सबसे छोटी बेटी मेहनती थी। उसने जल्दी से अपनी टोकरी पूरी भर ली। दूसरी दो बड़ी बेटियों ने चुटकी भर इकट्ठी कीं और वे अपना समय कुछ अलग करके बिताने लगीं। जब उन्होंने देखा, कि उनकी बहन प्रतियोगिता में विजयी हो गयी, तो उन्हें उससे इर्ष्या होने लगी। सबसे बड़ी बेटी ने बीचवाली बेटी से कहा:
-‘हमारे पिता जी क्या कहेंगे, जब वे देखेंगे, कि हमने कितनी कम इकट्ठी कीं’? हमारी बहन ने अपनी टोकरी पूरी भर ली। वे हम से पूछेंगे, कि हम क्या कर रही थीं? तो हम क्या कहेंगी? सज़ा से बचने के लिए हमें अपनी बहन को मार डालना चाहिए। हम घर पर कहेंगे कि वह जंगल में गायब हो गयी। हम उसे बहुत देर तक खोज रही थीं। इस लिए हम अपनी टोकरियों को पूरी नहीं भर सकीं। इसलिए हम देर से घर पहुँचीं।
बीचवाली बेटी उससे सहमत नहीं थी। लेकिन सबसे बड़ी ने तो बेचारी सबसे छोटी को मार डाला। इसके बाद उसने दफन कर दिया। घर पर उन्होंने अपने पिता जी से झूठ बोला, कि उनकी छोटी बहन जंगल में गायब हो गयी। वे उसको सब जगह खोजते रहे, पर वह नहीं मिली। वे बहुत देर तक खोजने के कारण काफ़ी हिसालू जमा नहीं कर सकीं। रात होने पर वे भी बहुत मुश्किल से पहुँच सकीं।
राजा को अपनी छोटी बेटी के लिए बहुत अफ़सोस हुआ, वह शोक से रोने लगा। वह उसकी बेटियों में से सबसे अच्छी थी।
वहाँ दूर जंगल में बेचारी सबसे छोटी राजकुमारी की कब्र से एक छोटा मेपल फूट निकल और बड़ा हो गया। वसंत में चरवाहा उस जगह पर अपने पशु चरा रहा था। एक बार जब वह छोटे मेपल की ओर गया, उसके दिमाग में कुछ आया। उसने पेड़ से एक डाली काट ली। उसने उससे बाँसुरी बनायी। उसने उसे बजाया। पर बाँसुरी से सिर्फ़ यह धुन निकली:
"बजाओ, बजाओ चरवाहे!
मैं भी छोटी राजकुमारी थी,
राजकुमारी से छोटा मेपल,
मेपल से छोटा बाँसुरी।"
एक बार राजा भी अपने आप उधर गया। उसने बाँसुरी कि धुन सुनी। वह हमेशा अपनी छोटी बेटी के बारे में सोचता रहता था। अब उसे अपनी छोटी बेटी का रहस्यमय ढंग से गायब हो जाना याद आया। उसने चरवाहे से पूछा, कि उसने बाँसुरी कहाँ से खरीदी।
चरवाहे ने उत्तर दिया:
- मैंने इसको यहाँ जंगल में काटा।
राजा ने कुछ सोचा:
- मुझे यह बाँसुरी दे दो।
चरवाहे ने बाँसुरी दे दी। राजा ने उसको मुँह पर रख लिया और बजाया। बाँसुरी बोली:
"बजाइए, बजाइए मेरे राजा पिता जी !
मैं भी छोटी राजकुमारी थी,
राजकुमारी से छोटा मेपल,
मेपल से छोटा बाँसुरी।"
राजा ने उसी क्षण चरवाहे से बाँसुरी खरीद ली। वह उसे घर ले गया, और अपनी पत्नी को बजाने के लिए दी। जब रानी ने बजाया, बाँसुरी बोली:
"बजाइए, बजाइए रानी माता जी!
मैं भी छोटी राजकुमारी थी,
राजकुमारी से छोटा मेपल,
मेपल से छोटा बाँसुरी।"
वे दोनों बाँसुरी की बात सुनते है। रानी बहुत लम्बे समय से यह विश्वास करती थी, कि उसकी बेटियाँ अपनी छोटी बहन की कहानी के बारे में उससे अधिक जानते है, जितना बताती हैं। उसने उनको बुलाया। उनके सम्मिलित होते ही, रानी अपनी छोटी बेटी को बजाने के लिए बाँसुरी दे देती है। बाँसुरी उसी क्षण शुरू करती:
"बजाओ, बजाओ मेरी बड़ी बहन !
मैं भी छोटी राजकुमारी थी,
राजकुमारी से छोटा मेपल,
मेपल से छोटा बाँसुरी।"
- अब तुम बजाओ-रानी ने अपनी बड़ी बेटी से कहा। वह तो बजाना नहीं चाहती थी। पर वह बच नहीं सकी। उसके हाथ में बाँसुरी रख दी गयी। उसे बजाना पड़ा। उसके बजाते ही, बाँसुरी ने शुरू किया:
"बजाओ, बजाओ, मेरी हत्यारिन!
मैं भी छोटी राजकुमारी थी,
राजकुमारी से छोटा मेपल,
मेपल से छोटा बाँसुरी।"
ख़राब बहन ने अपने हाथ से बाँसुरी छोड़ दी। इसके बाद वह घुटने पर गिर गयी, अपने पाप के लिए खेद व्यक्त किया और माफी माँगा। पर राजा ने तुरंत उसे अपने घर से, राजधानी से, पूरे देश से बाहर निकाल दिया। अगर वह वापस आएगी, उसका सिर काटा जाएगा। उसने जंगल में बड़े हुए पेड़ बहुत ध्यान से खुदवाकर बाहर निकालवाया और अपने खिड़की के नीचे लगवा लिया।
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