शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

हंगरी की नई सजा - लाल कीचड़

रीता जुली शिमोन

अगर कोई विदेशी हंगरी की आजवाली घटनाएँ देखता है तो उसको पूरी तरह पता नहीं चलता है इसका क्या महत्त्व है।

हम हंगेरियन लोग जानते हैं कि इतिहास में हंगरी की भूमिका कैसी थी: यह एक ऐसा देश था जिसका भाई-चारा योरोप में प्रसिद्ध था। पता नहीं फिर भी युद्धों में इसे असफलता ही हाथ लगी।

अब, २०१० अक्तूबर में भी हंगरी वासी इसी प्रकार का भाव महसूस कर सकते हैं।

अयका नामक एक हंगेरियन शहर की एक फैक्टरी का उपउत्पाद्य तो इसका दोषी है।

एक दिन फैक्टरी का बाँध टूट गया। उस में जो रासायनिक लाल पदार्थ था वह आसपास के गावों में फैल गया और वहाँ रहने वालों को बेघर कर दिया।

यह इतनी जल्दी हुआ कि सोचने तक के लिए समय भी नहीं मिला। अब तक मारे गए लोगों की संख्या नौ है: जानवरों की संख्या के बारे में मत सोचिये। सारे देश को आश्चर्य हुआ। सब लोग एकाजुट होकर सहायता करने लगे। बड़े शहरों में कई समूहों ने मदद की व्यवस्था शुरू की। दूसरे लोगों ने फोन करके या एसएमएस भेजते हुए पैसे दिए।

ईश्वर की कृपा से हमारे राष्ट्र के लोगों के मन होश में हैं। उन्होंने सिर्फ अपनी ज़िन्दगी की चिंता करना रोक दिया। कारण यह है कि पदार्थ प्राणीजगत और वनस्पति जगत की सभी चीजों के लिए खतरनाक है।

उसका पीएच गणनांक क्षारित है और इसको ठीक करने के लिए वैज्ञानिक अम्ल का प्रयोग करते हैं। यह नदियों में बहकर देश की किसी भी जगह पहुँच सकता है और सब कुछ नष्ट कर सकता है।

एक किसान ने एक नए प्राकृतिक पर प्रभावशाली तरीके के बारे में समझाया है जो सब क्षेत्रों के फलदायक खेतों का बचाव कर सकता है। इसके साथ-साथ उसने आशा कि रौशनी भी दिखाई। हमेशा आशा पर विश्वास करना चाहिए जो कि हम हंगेरियन लोगों को आम तौर पर नहीं आता। कारण अलग-अलग होते हैं। भाई-चारा या भरोसे की कमी, लापरवाही, सोचने का तरीका आदि-आदि।

इस समय हम सकते हैं कि हंगरी ने शक्ति और मन लगाते हुए काम किया। यह बहुत ही ख़ुशी और गर्व की बात है।

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