शनिवार, 1 मई 2010

छोटा गोलू

(अनुवाद रीता शिमोन, अन्ना शिमोन, रीता डोमिनिक)--

एक बार की बात है, दूध जैसे सागर से भी आगे एक ग़रीब आदमी और औरत रहते थे। उनकी तीन बेटियाँ थीं। उनके पास एक छोटा सुअर भी था। जब उन्होंने सुअर को इतना मोटा कर लिया कि उसकी चर्बी दो उँगली मोटी हो गई, तब उन्होंने सुअर को खाने के लिए मार डाला। इसके बाद उन्होंने गोलू को अटारी में शहतीर से लटका दिया। उन पाँचों के लिए माँस इतना कम था कि जैसे ऊँट के मुँह में जीरा। एक बार ग़रीब औरत को गोलू को खाने की भूख लगी। उसने सबसे बड़ी बेटी से कहा:

-ऊपर, अटारी में जाओ मेरी बेटी, शहतीर गोलू को लाओ हम उसे पकाएँगे।

उसने ऐसा ही किया। वह अटारी में गई। जब वह गोलू को शहतीर से काटना चाहती थी गोलू ने उससे कहा:

-हूँऊ अब मैं तुझे खाऊँगा। - उसने मज़ाक नहीं किया वह सचमुच ही उसे खा गया। गुड़ुप।

वे सब कुछ देर तक लड़की का इंतज़ार करते रहे कि वह गोलू को लेकर आए। लेकिन वह नहीं लौटी। इसलिए औरत ने बीचवाली बेटी से कहा:

- मेरी बेटी अपनी बहन के पीछे जाओ उससे गोलू को लाने के लिए कहो।

इस पर दूसरी बेटी भी ऊपर जाती है और अटारी में इधर-उधर देखती है लेकिन बड़ी बहन कहीं नहीं दिखती। इस के बाद गोलू उससे कहता है:

- मैं तुम्हारी बहन खा चुका हूँ अब मैं तुझे भी खाऊँगा।

उसी क्षण उसने उसे खा लिया। गुड़ुप।

वहाँ नीचे ग़रीब औरत अपनी दोनों बेटियों का इंतज़ार कर रही थी, जब वह इंतज़ार करते-करते ऊब गई, तो उसने सबसे छोटी बेटी से कहा:

- ऊपर जाओ मेरी बेटी, नीचे अपनी बहनों को बुलाओ वे ईश्वर से डरने के स्थान पर सूखी चेरियाँ बटोरती हैं।

जब छोटी लड़की अटारी में गई, गोलू ने उससे भी कहा:

- तुम्हारी दोनों बहनों को खा लिया अब मैं तुझे भी खाऊँगा।

उसने ऐसा ही किया। गुड़ुप।

औरत समझ नहीं सकी कि लड़कियाँ कहाँ भटक रही हैं। वह लड़कियों को बुलाने के लिए ऊपर पहुँची। लेकिन वह उन्हें धन्यवाद नहीं कहेगी बल्कि उनकी पिटाई करेगी। जब वह ऊपर गई, गोलू ने उससे कहा:

-तुम्हारी तीन बेटियों को खा चुका हूँ, अब मैं तुझे भी खाऊँगा।

उसी क्षण वह उसे ऐसे गुड़ुप गया कि उसकी छोटी उँगली नहीं बची।

इसके बाद ग़रीब आदमी अपनी बेटियों और पत्नी का इंतज़ार कर चुकने के बाद अटारी पर गया। जब वह चिमनी के पास पहुँचा, तब गोलू ने उससे कहा:

-तुम्हारी तीन बेटियों और पत्नी को खा चुका हूँ। हूँऊ अब मैं तुझे भी खाऊँगा।

वह बिलकुल भी नहीं झिझका उसे भी निगल गया, गुड़ुप।

पर उधड़ी हुई सुतली पाँच लोगों के भार को झेल नहीं सकी। वह शहतीर से टूट गई। गोलू गिर गया, फिर खड़ा होने के बाद सीढ़ियों से नीचे ज़मीन की ओर लुढ़कने-पुढ़कने लगा।

फाटक से बाहर निकल कर उसने सड़क पर बहुत सारे लोग देखे। उनके हाथों में घास काटने वाली दराँतियाँ थीं। गोलू ने उन को एक-एक करके खा लिया। गुड़ुप, गुड़ुप, गुड़ुप, गुड़ुप, गुड़ुप।

वह लुढ़क-पुढ़क रहा था। उसने कच्चे रास्ते पर बहुत सैनिक देखे। उसने वे भी खा लिये। गुड़ुप, गुड़ुप, गुड़ुप, गुड़ुप। वह फिर लुढ़क-पुढ़क रहा था।

वहाँ पास ही नाले के तट पर एक लड़का अपने सूअरों को चरा रहा था। सूअर दूर-दूर थे लड़का नाले के किनारे बैठकर अपने चाकू से डबल रोटी और सूअर का माँस काट रहा था। छोटा गोलू उस के पास गया और उसने उससे कहा:

-मैं तीन बेटियों को माता-पिता के साथ, अनेक दराँतियोंवालों को तथा सैनिकों के समूह को खा चुका हूँ, अब मैं तुझे भी खाऊँगा।

जब वह उसको खाना चाहता था, तो लड़के का चाकू उसके मुँह में फँस गया और वह कट गया। बहुत लोग बाहर निकल आये, सैनिक भी और सब लोग भी। कटे हुए गोलू को छोड़कर अपना-अपना सब काम करने लगे।

अगर छोटा गोलू लड़के के चाकू से न कटा होता तो मेरी छोटी कहानी सदा चलती रहती।

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