--याकोब और विल्हेल्म ग्रिम्म (अनुवाद- गाबोर लीब)
एक समय में जीता था एक गड़ेरिया लड़का जो हर सवाल का इतनी समझदारी से जवाब दे सकता था, कि उसके विवेक की नामवरी दूर दूर तक पहुँच चुकी थी।
यह बात राजा के कान में भी आ गयी थी, लेकिन उन्होंने इसपर विश्वास बिल्कुल नहीं किया।
जब जब कोई गड़ेरिया बच्चे की समझदारी की बात राजा के सामने करता था, वे कहते थे - बेकार अफ़वाह है और कुछ नहीं!
लेकिन दरबारवाले राजा से हठ कर रहे थे, कि वे लड़के को एक बार दरबार में बुलवा लें। आख़िर में उनकी इच्छा मंज़ूर हुई और लड़के को बुलवाया गया।
- मैं तुमसे तीन सवाल पूछता हूँ – राजा ने कहा - अगर तीनों के ठीक जवाब दे दिए तो तुम मेरे राजकुमारों की तरह यहीं राजभवन में रहोगे। लेकिन एक बार भी ग़लती की तो अपनी भेड़ों के पास वापस भेज दिए जाओगे!
- महाराज मेरे प्रभु, परीक्षा मंज़ूर है - लड़के ने उत्तर दिया।
दरबार मैं शान्ति हो गयी - मक्खी के पंखों का गुंजन भी सुना जा सकता था। तब राजा ने पहला सवाल पूछा:
- मुझे बताओ सागर में कितनी पानी की बूँदें हैं!
- सरकार - लड़के ने कहा - मैं सिर्फ़ एक बात चाहता हूँ, आप ज़रा दुनिया की सारी नदियों को रोक दीजिए ताकि वे सागर में ज्यादा पानी न ले जाएँ। तब मैं गिन लूँगा कि उसमें कितनी बूँदें हैं।
- ठीक है, राजा ने कहा। अच्छा जवाब दिया तुमने। अब देखें, तुम दूसरे सवाल का भी जवाब दे पाओगे। क्या तुम बता सकते हो कि आसमान में कितने तारे हैं ?
- महाराज मैं बताता हूँ, केवल पहले एक काग़ज़ का टुकड़ा दे दीजिए। राजा के लेखकों ने तुरंत काग़ज़ लिया और खिलखिलाते हुए लड़के को दिया। यही सोच रहे थे कि वह आसमान में तारों का कुल जामा उसपर गिननेवाला था। लेकिन लड़के ने कुछ नहीं गिना, परंतु काग़ज़ पकड़ा और छोटी छोटी बिंदुएँ बनाकर उसे भरा। इतने बिंदु लगाए, जिसने भी देखा उसकी आँखे चकरा गयी। जब बिंदु बनाना ख़त्म हो गया, उसने काग़ज़ राजा को सौंप दिया।
- आसमान में उतने तारे हैं जितने बिंदु इस काग़ज़ पर हैं, बस उन्हें गिनना पड़ेगा।
इस पर लेखकों के चेहरे पीले पड़ गए; वे डरने लगे कि बाद में राजा उनसे बिंदुओं को गिनवाने न लगें।
राजा तो होशियार गड़रिया लड़के को पसंद करने लगे। उसको ख़ुशी से देखते हुए तीसरा सवाल पूछा।
- केवल एक बात और बताओ बेटा, कि अनंत-काल कितने मिनट का होता है।
लड़के ने थोड़ी देर तक सोचा, फिर यह उत्तर दिया:
- बहुत दूर पोमेरानिया में प्रसिद्ध हीरे का पहाड़ है जो इतना विशाल है कि उसकी परिक्रमा करने में ही थकान हो जाती है। उस पहाड़ पर हर सौवें साल में एक छोटी-सी चिड़िया आती है और अपनी चोंच को उसपर तेज़ करती है। जब पूरा पहाड़ इस काम से घिस जाएगा, तब अनंतकाल का पहला मिनट पूरा होगा।
बहुत अच्छा - राजाने कहा - तुम परीक्षा में सफल हो गए, कोई पण्डित भी इससे ज़्यादा बुद्धिमानी से जवाब नहीं दे सकता। आज से तुम्हारा निवास यही मेरे महल में ही होगा, मैं सारी दुनिया के सामने तुम्हें अपने बच्चे के रूप में गोद लेता हूँ।
बहुत बढ़िया कहानी...."
जवाब देंहटाएंBhut Achi verry nice khaki
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