मैं बहुत खुश हूँ (हुई), जब मुझे पता (चला) है (था) कि मैं आगरा, हिंदी संस्थान में हिन्दी पढ सकती थी (हूँ)। केन्द्रीय हिन्दी संस्थान में बेहतर सब से (सबसे बेहतर) मैंने सोची (सोचा)।
केंद्रीय हिन्दी संस्थान आगरा क दो भाग हैं स्वदेशी और विदेशी छात्रों के लिए। 63 विदेशी छात्र- 26 देशों से थे। जैसे अफगानिस्तान, आर्मेनिया, इटली, इंडोनेशिया, गयाना, चीन, जापान, जॉर्जिया, ताजिकिस्तान, दक्षिण कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, थाइलैंड, नीदरलैंड, फिजी, बुल्गारिया, बेलारूस, मंगोलिया, यूक्रेन, रोमानिया, रूस, लिथुआनिया, सूरीनाम, श्रीलंका, त्रिनिदाद और टोबैगो और हंगरी। विदेशी छात्रों के कक्षाओं के चार स्तर थे।
मेरी कक्षा में 30 लोग थे। हर दिन 4 हिन्दी अंतर थे-, मौखिक, लेखन, व्याकरण, और पाठावली। इसके अलावा मेरे लिए सुबह 7 से 9 तक योग एंव दोपहर में संगीत कक्षाएँ भी थीं। मुझे योग की कक्षा सबसे पसंद थी। शिक्षक और कर्मचारी बहुत अच्छे थे। वे मुझे सब कुछ करने में मदद करते थे। मुझे अपने छात्रावास के कमरे में बहुत अच्छा लगा। मैंने कमरे को फेंग शुई के आधार पर सजाया। मुझे संस्थान में सबसे अच्छा भोजन लगा। सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है परन्तु क्योंकि मैं सब भोजन के बारे में अलग लड़कियों से बातचीत कर सकती थी। मैं भारत
संस्कृति के अलावा अलग अलग संस्कृतियों के लोगों से मिली। अवकाश के समय अपनी सहेलियों के साथ खाना खरीदी थी और घूमने चली जाती थी। मैं अपने परिवार और दोस्तों से इंटरनेट पर बातचीत और ईमेल करती थी। भारतीय लोग बहुत बहुत खुश होते थे जब मैं उनसे हिंदी में बात करती थी। अपन सहेलियों के साथ आगरा के बाहर भी यात्रा करती थी। मुझे भारत की विविध दुनिया बहुत पसंद आई।
भारतीय त्योहार मुझे भी बहुत अच्छे लगते थे। भारतीय त्योहारों को हम सभी स्वदेशी और विदेशी छात्रों मिलकर मनाते थे। त्योहारों पर मैं गाना भी गाती थी।
आगरा की गर्मी पसंद नहीं आई, मच्छरों और बुरी हवा की वजह से मैं बीमार हो गयी थी। इसके अलावा सब बहुत अच्छा था और हमें हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता था।
अभी मैं अपने घर हंगरी में हूँ तो भारत मुझे याद आती है। अपनी तस्वीरों देखकर ही अपने अच्छे समय की याद आती है। भारत ने मुझे बदल गया है कि हर कोई मुझे देखने लगा है। मैं खुद को मजबूत, शांत और अधिक अनुभवी महसूस करती हूँ। यह मेरे जीवन का अब तक का सबसे अच्छा अनुभव था।
बहुत अच्छे पोस्ट । यहाँ पर लोग हिन्दी बोलने पर खुश हुए क्योकि अब यहाँ के लोग इग्लिश जो बोलते है..."
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