मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

बुदा में कुत्तों का बाज़ार सिर्फ एक बार

अनुवाद, साश ओर्शोल्या--

प्रस्तावना 
(पीछे राजा कपड़े बदलके निकलता है)
एक दिन राजा मात्याश साधे कपड़े पहनकर किसी सैनिक के रूप में जो छुट्टी लेकर अपने घरवालों से मिलने गाँव जा रहा है महल से निकले. बहरहाल, वे असल में सच्चाई के पीछे चल रहे थे, जो गरीबों के कपड़े पहनके अक्सर ज़्यादा आसानी से मिल जाती है कि राजा का जामा पहनके

.  (अमीर किसान बैलों से जोत रहा है, अमीर किसान का एक बैल भी गिरनेवाला है)

राजा (अमीर से): नमस्ते भाई साहब
अमीर: नमस्ते! क्या चाहिए?
राजा: ज़्यादा दया चाहिए भाई साहब. ज़रा देखिये, यह बचारा हल को आगे चला नहीं पाता. अपने दो बैल इसको उधार दीजिए, एक घंटे यह छोटा खेत जोत लेगा
अमीर: अरे, क्या सारे गरीबों की समस्याएँ भी मैं सुलझाऊं, अपनी भी काफी है? आप तरस खाते हैं तो इसकी हल खुद चला देना. अब चलिए.

राजा (गरीब से): भाई साहब! इस बेचारे को आगे कष्ट मत देना. इसको आप बेच देना, फिर जो भी पैसे मिलेंगे बदले में उन सब से कुत्ते खरीद लेना. फिर कल सुबह ही कुत्तों को लेकर बुदा के बाज़ार में चले जाना. बाकि किस्मत की बात रहेगी.
गरीब: मज़ाक मत कीजिए भाई. मेरी वैसे भी बड़ी समस्या है
राजा: आगे आपकी कुछ भी समस्या नहीं रहेगी अगर मेरी बात मान लेंगेदेखिए, ये सोने मुझे पिछले हफ्ते मिले  कुत्तों के आधे दर्जन के बदले में. क्योंकि आजकल बुदा में अच्छे कुत्तों का बड़ा दाम होता है
गरीब: चलिए, जो भी होगा, कोशिश तो करूँगा. गरीबी तो बहुत मुश्किल देती है. आशा है आप पर भरोसा करने का फायदा होगा
(गरीब किसान बैल के बदले कुत्ते लेकर निकल रहा है. अमीर उसपर हंस रहा है.)
अमीर: पागल हो गए क्या? कुत्तों से खेती-बारी नहीं होती. सारे पैसे इनपर खर्च करने का क्या फायदा होगा

. (बुदा का बाज़ार)

पहरेदार (अमीर किसान को आते हुए देखकर): अरे भाई! अगर कुछ भी नहीं लाया बेचने के लिए तो निकल जाओ यहाँ से जल्दी
गरीब: ये सब तो बेचने के लिए ही ला रहा हूँ जी.
पहरेदार: बुदा के बाज़ार में कुत्ता कोई नहीं लेगा. चल यहाँ से!
गरीब: उस सैनिक ने तो दोखा दिया मुझे. इतने गरीब आदमी का मज़ाक करने से शर्म नहीं आती उसे
(राजा रहा है बाकि महाजनों के साथ)
राजा: हमने आप सब को तुरंत आने के लिए इसलिए कहा, क्योंकि हम नहीं चाहते कि इन शानदार कुत्तों को कोई भी हमारे पहले ले ले. इनसे सुन्दर, कोमल कुत्ते तो कहीं भी मिल सकते है, पर इनसे अच्छे कभी नहीं. और यह आदमी १० सिक्कों में ही एक देने के  लिए तैयार है. बढ़िया मोल लगा है. हम खुद दो ले लेंगे. (सब कुत्ते लेते हैं)
गरीब: राजा जी, भगवान आपकी आशीर्वाद दे! जय हो राजा की!


अमीर (हंसके): तुमहारे कुत्ते सब भाग गए हैं क्या? अब हल कौन चलाएगा
गरीब: ऐसा नहीं है भाई साहब. इधर देखिए, बुदा में कुत्तों का कितना अच्छा दाम है.
अमीर: हे भगवान! मुझे यकीन नहीं हो रहा है! बड़ा धन है सही में! (अपने से) अगर इसके एक ही बूढ़े, बीमार बैल के बदले में इतने सोने मिले तो मुझे कितने मिल सकते हैं? मुझे भी कुत्ते चाहिए!
(बैल, मकान... के बदले में कुत्ते लेकर निकलता है)

. (बुदा का बाज़ार)

पहरेदार: ज़रा ठहरो! क्या लेकर रहे हो? बुदा के बाज़ार में कुत्ते नहीं बेचे जाते हैं.
अमीरकहिए मत भाई साहब! मेरे पड़ोस ने तो हाल ही में एक दर्जन कुत्ते बेच दिए यहाँ.
पहरेदार: मैं कह रहा हूँ, यहाँ कुत्ते नहीं बेचोगे
अमीर: मैंने अपने आँखों से देखा कि कितने सोने मिले हैं उसे कुत्तों के बदले में.
पहरेदार: अरे, हमारे राजा मात्याश ने बता दिया कि तुम ज़रूर जाओगे. उनहोंने तुम्हारे नाम एक सन्देश भेजा है. बुदा में कुत्तों का बाज़ार एक बार लगा था. सिर्फ एक बार! अब जहाँ से आये हो वहीं लौट जाओ और अपनी समस्या खुद ही सुलझाओ



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