मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010

छोटा मुर्गा और चूज़ा

शिमोन अन्ना--


एक बार की बात है, दूध जैसे सागर के आगे एक छोटा मुर्गा और एक चूज़ा रहते थे।  जब वे वहाँ कचरे के पहाड़ को खुरच रहे थे, चूज़े को एक कोकेन (हंगेरियन पौधा ) मिला। वह उसे निगलना चाहता था । वह उसके गले में फँस गया। चूज़े ने हाँफना शुरु किया और उसने मुर्गे से कहा:
-
जाओ, मेरे छोटे मुर्गे कुएँ से पानी लाओ क्योंकि कोकेन से मेरा गला घुट रहा है ।
मुर्गा कुएँ के पास गया ।
- कुएँ, कुएँ मुझे पानी दो । मैं पानी को चूज़े के लिए ले जाऊँगा। नहीं तो कोकेन से उसका दम घुट जाएगा ।
- मैं तो नहीं देता, जब तक तुम मेरे लिए पेड़ से हरी डाली नहीं लाते।
मुर्गा  पेड़ के पास गया।
- पेड़, पेड़ मुझे हरी डाली दो। मैं हरी डाली को कुएँ के लिए ले जाऊँगा, कुआँ मुझे पानी देगा। मैं पानी को चूज़े को दूँगा, क्योंकि उसका गला कोकेन से घुट जाएगा।  
मैं तो नहीं देता - पेड़ ने उत्तर दिया – जब तक तुम मेरे लिए सुन्दर लड़की से माला नहीं लाते।
मुर्गा सुन्दर लड़की के पास गया।
- सुन्दर लड़की! मुझे  माला दो। मैं माला पेड़ को दूँगा, पेड़ मुझे हरी डाली देगा। मैं हरी डाली को कुएँ  के लिए ले जाऊँगा।  कुआँ मुझे पानी देगा। मैं पानी को चूज़े को दूँगा, क्योंकि उसका गला कोकेन से घुट जाएगा।  
- मैं तो नहीं देता, जब तक तुम मेरे लिए चर्मकार से जूता नहीं लाते।
मुर्गा चर्मकार के पास गया।
-          चर्मकार, चर्मकार! मुझे जूता दो। मैं जूता सुन्दर लड़की को दूँगा, सुन्दर लड़की मुझे माला देगी। मैं माला पेड़ को दूँगा। पेड़ उसके लिए हरी डाली देगा, मैं डाली कुएँ  को दूँगा। कुआँ मुझे पानी देगा और मैं पानी चूज़े को दूँगा, क्योंकि उसका गला कोकेन से घुट जाएगा।
 - मैं तो नहीं देता, जब तक तुम मुझे मज़दूर से लपसी नहीं लाते।
मुर्गा मज़दूर के पास गया।
- मज़दूर, मज़दूर! मुझे लपसी दो। मैं लपसी चर्मकार को दूँगा। चर्मकार मुझे जूता देगा। मैं जूता सुन्दर लड़की को दूँगा, सुन्दर लड़की मुझे माला देगी। मैं माला पेड़ को दूँगा। पेड़ उसके लिए हरी डाली देगा, मैं डाली कुएँ  को दूँगा। कुआँ मुझे पानी देगा और मैं पानी चूज़े को दूँगा, क्योंकि उसका गला कोकेन से घुट जाएगा।
-मैं तो नहीं देता, जब तक तुम मेरे लिए सूअर से चर्बी नहीं लाते।
मुर्गा सूअर के पास गया।
- सूअर, सूअर मुझे चर्बी दो। मैं चर्बी मज़दूर को दूँगा और मज़दूर मुझे लपसी देगा। मैं लपसी को कर्मकार को दूँगा, चर्मकार मुझे जूता देगा। मैं जूता सुन्दर लड़की को दूँगा, सुन्दर लड़की मुझे माला देगी। मैं माला पेड़ को दूँगा। पेड़ उसके लिए हरी डाली देगा, मैं डाली कुएँ  को दूँगा। कुआँ मुझे पानी देगा और मैं पानी चूज़े को दूँगा, क्योंकि उसका गला कोकेन से घुट जाएगा।
- मैं तो नहीं देता, जब तक तुम मेरे लिए नौकर से घर का बचा खाना नहीं लाते।
 छोटा मुर्गा नौकर के पास गया।
-          नौकर, नौकर! मुझे घर का बचा खाना दो। मैं घर का बचा खाना  को सूअर को दूँगा। सूअर मुझे चर्बी देगा। मैं चर्बी को मज़दूर को दूँगा और मज़दूर मुझे लपसी देगा। मैं लपसी को चर्मकार को दूँगा और चर्मकार मुझे जूता देगा। मैं जूता को  सुन्दर लड़की के लिए ले जाऊँगा और सुन्दर लड़की बदले में माला देगी। मैं माला को पेड़ के लिए ले जाऊँगा। पेड़ बदले में डाली देगा। मैं डाली को कुएँ  के लिए ले जाऊँगा। कुआँ मुझे बदले में पानी देगा। मैं पानी को चूज़े को दूँगा। कोकेन से चूज़ा का गला घुट रहा है।
नौकर ने उसे घर का बचा खाना दिया। वह घर का बचा खाना सूअर के लिए ले गया। सूअर ने उसको चर्बी दी। उसने चर्बी को मज़दूर के लिए लिया। मज़दूर ने उसे लपसी दी। उसने लपसी चर्मकार को दी। चर्मकार ने उसको जूता दिया। उसने जूता सुन्दर लड़की को दिया। सुन्दर लड़की ने उसे माला दी। उसने माला पेड़ को दी। पेड़ ने उसको डाली दी। वह डाली कुएँ  के लिए ले गया। कुएँ  ने पानी दिया। वह पानी चूज़े के लिए ले गया पर चूज़े का गला कोकेन से घुट चुका था।
 अगर चूज़े का गला न घुटा होता तो मेरी कहानी सदा चलती रहती।

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