मेरा परिवार ओरोश्हाज़ा में रहता है| यह दक्षिण हंगेरी का एक छोटा शहर है जिसमें लगभग ६७००० लोग रहते हैं| इस शहर की स्थापना दो सदियों पहले ७० परिवारों ने की थी। इन लोगों को ज़ोम्बा (यहाँ से बहुत दूर गाँव) से पैदल आना पड़ा था, क्योंकि ज़ोम्बा के शासक ने उन्हें अपने धर्म मानने से मना किया था| इसके कारण ओरोशाज़ा की सब से पुरानी सड़क का नाम ज़ोम्बा पर रखा गया है|
दूसरी पुरानी सड़क का नाम तान्चिच मिहाय है (तान्चिच मिहाय, एक बहुत प्रसिद्ध एतिहासिक व्यक्ति था जो ओरोश्हाज़ा का प्रतिनिधि था)| तान्चिच सड़क में तान्चिच मिहाय माध्यमिक स्कूल है, जहाँ मेरी माता जी पढ़ाती हैं। मैं भी इसी स्कूल में पढ़ती थी | यह एक बड़ी, तीन मंजिला, पीली इमारत है| स्कूल के सामने एक सुन्दर मूर्तियों का बड़ा पार्क है| ये मूर्तियाँ (वास्तव में) विशाल पत्थर के टुकड़े हैं, जिन पर तारीखें लिखी हैं| पार्क के बीच में एक रोती औरत की मूर्ति खड़ी है जिस के पास एक पीतल का घंटा है| यह घंटा ज़ोम्बा से लाए घंटे का प्रतीक है |
ओरोश्हाज़ा में तान्चिच को छोड़कर दो माध्यमिक स्कूल और हैं। इनके आसपास चार प्राथमिक और एक 'संगीत-स्कूल' भी है| शहर का सांस्कृतिक जीवन रंग-बिरंगा है|
संग्रहालय और कलादीर्घा के अलावा सांस्कृतिक केंद्र में भी प्रदर्शनियाँ होती हैं| इस केंद्र में शहर के दो पुस्तकालय (बच्चों और वयस्कों के) हैं, लेकिन कला प्रेमियों के कई संघ भी यहाँ काम करते हैं (उदहारण के लिए-ऑरकेस्ट्रा)|
ओरोश्हाज़ा में -अवश्य- चर्च भी हैं : तीन बड़े और कुछ छोटे चर्च हैं| सबसे महत्त्वपूर्ण लूटेराण चर्च है, क्योंकि यह ओरोश्हाज़ा की सब से पुरानी इमारत है - और पूर्वजों के कारण शहर का मुख्य धर्म अब भी लूटेराण है |
ओरोश्हाज़ा का ग्लास का कारखाना हंगेरी की सभी जगहों में मशहूर है - मैं हर दिन अपने नगर का नाम ट्रेनों, बसों या ट्रामों की खिड़कियों पर देख सकती हूँ| ओरोश्हाज़ा के नाम को मुख्य रूप से 'ग्योपारोश्फूर्दो' प्रसिद्द करता है| यह एक तरणताल है जहाँ अनेक तरण ताल हैं, ‘थर्मल’ से लेकर 'साहस वाले' तक| यहाँ त्योहार मनाने और प्रतियोगिताएँ करने की भी जगह है|
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