वासिल मिंतशेव--
मेने एक पतंग पाया 
और हरे प्रह्लादित हो गया 
उसके साथ चारागाह भागा 
उसे उड़ने देखना चाह 
और वह उड़ा और वह उड़ा 
नीले गगन में 
जब में हरे चारागाह पर ठहरा 
और मैं भी उड़ना चाहने लगा 
क्यों पतंग सकता है और मैं नहीं ? 
लड़ी हाथ में ली 
और आपको उड़ाया
 और मैं उड़ा और मैं उड़ा 
नीले गगन में 
जब मैं उड़ा लड़ी फटी 
और मैं हरे  प्रह्लादित गिरा 
आब मैं अकेला हो गया 
और पतंग उड़ा और उड़ा 
लौट कभी नहीं उड़ा 
नीले गगन से 
 
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