बुधवार, 14 अप्रैल 2010

शान्दॉर पैटोफ़ि का जीवन परिचय

--अत्तिला सबो

शान्दॉर पैटोफ़ि का जन्म एक जनवरी अट्ठारह सौ तेईस को हुआ था। उनके पिताजी का नाम इश्तवान पैत्राविच था। वह पैशे से कसाई थे। उनकी स्लोवाक माताजी का नाम मारिया ह्रूक्स था। शादी से पहले वह नौकरानी थीं और लोगों के कपड़े भी धोती थीं। शान्दॉर पैटोफ़ि के पैदा होने के दो साल बाद उनका परिवार किश्कुफ़ेलैद्यहाजा में बस गया। शान्दॉर पैटोफ़ि एक बहुत अच्छे स्कूल में पढ़ते थे। पर पिताजी के गरीब हो जाने के कारण उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा। वे पैश्त के एक थियेटर मे काम करने लगे। इसके बाद वे शॉप्रोन जाकर सैनिक बन गए। सैनिक बनने के बाद वे पापा में कवायद सीखने लगे। वहाँ उनकी मुलाकात योकइ मोर से हुई। 1842 में उनकी एक कविता साहित्यिक समाचार पत्र में छपी। पर शान्दॉर पैटोफ़ि अभिनेता बनना चाहते थे। वे एक थियेटर से जुड़ गए। दो साल बाद वे पैश्त गए और अपना एक काव्य संकलन प्रकाशित करवाया। इसको बाद वे एक समाचार पत्र –पैश्त दिवतलप- के संपादक हो गए। मार्च 1845 में इस समाचार पत्र को छोड़ दिया। मार्च 1846 में उन्होंने दस लोगों का एक दल (तिजैक् तार्शशागगा) बनाया। इस दल में युवक लेखक और कवि थे। इस साल के बाद दोसाल तक लगातार राजनीतिक कविताएँ लिखीं। जैसे – अ नेप (लोग), अ तिज़ैकिलैंत्सैदिक् साज़ज कॉलताई (उन्नीस वीं सदी के कवि), अ नेप् नैवबैन (लोगों के नाम)। वे 1846 में सैंद्रैई यूलिया से मिले और अगले साल विवाह कर लिया। 15 मार्च, 1848 को हब्जबुर्ग शासन के खिलाफ क्रांति शुरु हुई। शान्दॉर पैटोफ़ि ने अपनी सबसे प्रसिद्ध कविता नैमजैति दल (जातीय गीत) लिखी। यह क्रांति सफल नहीं हुई क्योंकि हब्ज़बुर्ग की सेना हंगेरियन सेना से ज्यादा शक्तिशाली थी। दिसंबर 1848 में शान्दॉर पैटोफ़ि एक पुत्र के पिता बन गए। इस समय इनकी मुलाकात और फिर दोस्ती योज़ेफ बैम से हुई जो एक सेनापति था। 1849 के वसंत में इनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। इनकी मृत्यु 31 जुलाई को शैगैश्वार के पास के एक नगर फैहेरैद्यहाज़ा में लड़ाई के दौरान हो गई।

1 टिप्पणी:

  1. बहुत अच्छे से लिखा जीवन परिचय पर अगर शान्दोर की कोई कविता भी होती और अच्छा

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