बुधवार, 14 अप्रैल 2010

मेरी सिसली की डायरी

--पेतैर शागि

४ - ५ अप्रैल, शनिवार-रविवार
आज हमारी यात्रा का पहला दिन है। बस में काफ़ी आराम से बीत गया, क्योंकि दल के २८ व्यक्तियों में से १८ नेपल्स तक हवाई जहाज़ से पहुचेंगे। इसलिए इस लंबे सफ़र के दौरान सबके फैलने के लिए पर्याप्त जगह थी। शनिवार की दोपहर को चलकर हम रविवार सुबह नेपल्स पहुँचे वहाँ हमने हवाई जहाज़ से आने वालों को अपनी बस में चढ़ाया । यह दिन कितना लंबा होगा किसी भी को मालूम नहीं था । नेपल्स और इटली के सबसे दक्षिणी बिंदु के मध्य हम लोगों ने पैस्तुम देखा । यहाँ अनेक बड़े-बड़े सुन्दर यूनानी गिरजाघर हैं । एक समाधि भी देखी। इसकी अंदरूनी दीवार पर बना एक फ़्रेस्को है। इसमें एक गोताखोर है । यह अपने-आप में एक सचमुच ही निराला चित्र है। मैंने प्राचीन गोताखोरों के बारे में लिखे एक निबंध में इसका इस्तेमाल किया था। इसकी आलोचना करना अत्यंत आनंददायक था। इससे पता चलता है कि रोमन लोगों से पहले, बृहत ग्रीस में यूनानी उपनिवेशों में रहनेवालों की उपस्थिति कितनी शक्तिशाली थी ।

दक्षिण-पश्चिमी इटली बहुत सुन्दर है । समुद्र का किनारा ढलवाँ पहाड़ों से भरा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्रायः ५०-६० मीटर ऊँचाई वाले पुलों पर, समुद्र के ऊपर, अकल्पनीय दृश्य दिखाते हुए जाता है। रेजो कलाब्रिआ और मेसीना (सिसिली) - के बीच तीन किलोमीटर चौड़ाई का जलडमरूमध्य पड़ता है, जिसे नाव से पार किया जाता है। अभी तक मैंने कभी भी इतनी बड़ी नाव पर पैर नहीं रखे थे। इस जलडमरूमध्य को विशेष जगह माना जाता है। ऑडस्सी में दो राक्षसों ने ऑडस्सिअस की नाव उजाड़ दी थी। महाद्वीप को हम ने शाम के समय छोड़ा तथा रात के अंधकार में मेसीना पहुँचे। चेहरे को चाटती गरम हवा ने नाव की सबसे ऊपरवाली मंजिल पर बिताये समय को मनभावन बना दिया। टॉओर्मिना के पास होस्टल ढूँढ़ने में कुछ समस्या हुई । अंत में थके-माँदे आधी रात के करीब अपने-अपने बिस्तर पर पसर गए ।

६, सोमवार
आज के कार्यक्रम में सिसिली की शायद सबसे बड़ी विशेषता शामिल है । टॉओर्मिना का दृश्य शानदार है । यहाँ चट्टासनें खोदकर यूनानी थिएटर बनाया गया था। इसकी यवनिका के खंडहरों में से एट्ना ज्वालामुखी का बर्फ़ से मूँदा शिखर दिखाई पड़ता है। वैसे टॉओर्मिना सिसिली के जातीय सम्मिश्रण का अद्भूफ़त नमूना है। यह शहर यूनानियों ने ३९५ ई॰ पू॰ बसाया था ( इससे पहले यहाँ आदिवासी रहते थे)। इसके इतिहास के दौरान रोमानी, बाइज़ैंटीनी, अरब, नर्मन, जर्मन, स्पेनी और फ़्रांसीसी लोगों ने इस पर क़ब्ज़ा किया अलग-अलग समय पर कब्जा किया था । इसके अलावा हमने एक चौथी सदी के एक रोमानी मकान के खंडहर भी देखे। इसका तीन हज़ार वर्ग मीटर का पच्चीचकारी का फ़र्श अच्छी स्थिति में बचा हुआ है । हम शाम के समय सयराक्यूस पहुँच गए । हमारा होटल शहर से बाहर, संतरों का एक बाग़ में था । १७वीं शताब्दी में बना एक मकान था जिसका एक साल पहले उसका पुनर्णिर्माण हुआ था।

७, मंगलवार
मालिकों ने नाश्ते में संतरे का रस ही रस परोसा। शहर के केंद्र तक जाने में लगभग आधा घंटा लगा। सयराक्यूस बड़ा खूबसूरत शहर है। इसके प्रथम यूनानी नागरिक ८वीं सदी ई॰ पू॰ में यहाँ आये थे । प्राचीन काल के इलाकों में से बहुत कम बचे हैं – जो बचे हैं उनमें से एक है -विशाल थिएटर। अपने वैभवशाली दिनों में यह आलिक्संद्रिआ के साथ यूरोप के बड़े नगरों में से एक था। इसका पुराना केंद्र ओर्टीजा नामक एक द्वीप पर है जो छोटी सी नहर के द्वारा महाद्वीप से अलग है । मैंने अपने दोस्तों के साथ दोपहर का अच्छा भोजन बंदरगाह के पास “सीफ्रूट्स” का लिया। खैर, हम ओर्टीजा द्वीप पर घूमे - चारों और ठेठ सिसिलियन गलियाँ- कूचे थे, जो संकरे थे। जिनके ऊपर सूखते हुए कपड़े लहराते रहते हैं। इन गलियों से डोम स्क्वायर जा सकते हैं । शाम की धूप में चमचमाता सफ़ेद डोम साफ़-साफ़ बहुत सुंदर लग रहा था। मुझे बॉरोक शैली पसंद नहीं है। पर यह गिरजाघर आम नहीं था । बाह्य दीवारों के पीछे २००० वर्ष पुराना यूनानी गिरजा था जिसकी बाहरी दीवारों में २५-२५ मीटर के पुराने स्तंभ दिखाई देते हैं । रात तक घूमते रहे, दस बजे घर लौटे ।

८, बुधवार
आज सयराक्यूस से चलकर दो शहर देखे । जेला, जो प्राचीन काल में जबरदस्त नगर था, आज रोचक नहीं है । उसके एक्रोपोलिस व्यावहारिक दृष्टिकोण से पूरी तरह उजड़ गया था । उस की जगह आज संग्रहालय है जिसकी बॉल्कोनी से समुद्र के तट पर पेट्रोल कारख़ाना अच्छी तरह से दिखता है । दूसरा शहर बिलकुल अलग है- नोटो बारोक। नोटो १६९३ में भूकम्प के कारण उजड़ गया था, पर नागरिकों ने निश्चय किया था कि अपनी जन्मभूमि को नहीं छोड़ेंगे बल्कि शहर का पुनर्णिर्माण करेंगे । इस के अनुसार राजा ने बॉरोक शैली में काम करनेवाले कलाकार और वास्तुविद निमंत्रित किये थे तथा शहर को एक बार में और एक ही शैली में, लाल पत्थरों से बनवाया था । शाम अग्रिजेंटो पहुँचे यहाँ हम तीन रात बिताएँगे।

९, गुरुवार
अग्रिजेंटो वर्तमानकाल की अपेक्षा प्राचीन दिनों में बड़ा था, यहाँ कई लाख लोग रहते थे । आज हमने “गिरजाघरों की घाटी” नामक टीला देखा जो कल राजमार्ग से भी ठीक से दिखाई पड़ गया था। नाम शायद इस पर आधारित है कि टीला समुद्र और पहाड़ के बीच में है। यह पहाड़ से (जिस पर तो आधुनिक बस्ती स्थित है) नीचे है । यहाँ एक दूसरे से काफ़ी दूर लगभग दस यूनानी गिरजाघर हैं – इनमें से एक ही सर्वश्रेष्ठ रूप में बचा है। पर प्रमाण के बिना पक्की तौर पर नहीं कहा जा सकता कि किस देवता का था। हरेक गिरजा डोरिक किस्म का है । कॉर्थेग के आक्रमण (४०९ ई॰ पू॰) से पहले अग्रिजेंटो के लोगों को ज़िअस का एक नया गिरजाघर बनाने में कई साल लगे थे, जो अगर पूरा हुआ होता, ३० मीटर ऊँचाई, दस गुने घेरे के कारण यूनानी गिरजों में सबसे महत्वपूर्ण होता। खंडहरों के बाद हमने आधुनिक शहर भी देखा। पर वहाँ कोई ख़ास बात सामने नहीं आई । रात को दोस्तों के साथ समुद्र तट पर ऑइसेक्रीम खाने गया। इटली में सब कुछ बहुत महँगा है, सिवाय ऑइस्क्रीम के।

१०, शुक्रवार
मौसम काफ़ी ख़राब था परंतु आज के कार्यक्रम में सिर्फ़ बाहरी स्मारक चिह्न थे । तीन स्थान देखे । पहले इराक्लिआ मिनोआ जाकर दूसरे लोग संग्रहालय आ-जा रहे थे, तब तक मैंने हवादार समुद्र के तट की चट्टाानों के परिदृश्य का मज़ा लिया । बाद में सेलिनस गये जिसका नाम उसकी नदी के आधार पर रखा गया है। इस यूनानी शब्द का मतलब अजमोद है । खंडहर बड़े मैदान में फैले हुए हैं, एक भाग से दूसरे तक जाना बस से ही आरामदायक है, पर वहाँ गोल्फ़-गाड़ियाँ भी जुटाई गई हैं । सच बताऊँ, अग्रिजेंटो के बाद यहाँ कुछ रोचक नहीं था । केवल डेमेटेर मालोफोरोस के तीर्थस्थान के पत्थरों की बतायी कहानी चित्ताकर्षक लगी । तीसरा शाक्काे, एक ऐतिहासिक रुप का कस्बा था । दरअसल वहाँ सिर्फ़ एक घंटा बिताया । चारों ओर गुड फ़्रायडे के धर्माचार दिखाई पड़ रहे थे।

११, शनिवार
अगर कोई इतने खंडहरों को पसंद नहीं करता, तो भी ज़रुरी है कि उसे सेजेस्ता पसंद आए। जान लीजिए कि यूनानी धरती का शायद सबसे अच्छे रूप में बचा गिरजाघर है इस जगह है। यह प्रारंभ में यूनानी नहीं, पर यूनानी सांस्कृति से प्लावित आदिवासियों की बस्ती थी । देहात की तस्वीर बढ़िया है । ऊँचे पहाड़ों में से एक पर सेजेस्ता का एक्रोपोलिस था। यह पहाड़ों के घेरे के बीच, वसन्त की हवा में फलती-फूलती हुई एक पहाड़ी पर स्थित है । क़िले के ऊपर से इस की शोभा देखते ही बनती है । एरीचे इससे भी अनूठा लगा । वीनस की यह प्राचीन जगह समुद्र के नज़दीक ७५० मीटर ऊँचे पर्वत पर स्थित है। इसके अनुसार अप्रैल में भी जाड़े का मौसम है । आजकल अलीशान सम्मेलन करने के लिए बड़ा लोकप्रिय स्थान है, क्योंकि मध्य युग के दो दुर्गों में से एक में पुनर्णिर्माण करके उच्च स्तर का होटल चलता है।
पॉलेर्मो, सिसिली की राजधानी, हम लोग शाम के समय पहुँचे । अभी तक बहुत कुछ नहीं देखा, किंतु इतना मालूम है कि सिसिली का सबसे अजीब, धुंधला, भ्रष्ट, कुत्सित, फिर भी अपने खंडहरों से सुन्दरतम और सबसे ऐतिहासिक शहर यही है । होस्टेल के नज़दीक केंद्र के बीचों बीच जिस स्क्वायर में बस ने हमें पहुँचाया, वहाँ पॉलेर्मो का हरेक युग अपना प्रतिबिम्ब डाल रहा है । मैंने और मेरे दोस्त पेतैर ने दो व्यक्ति का एक कमरा ले लिया ।

१२-१३, रविवार-सोमवार
पॉलेर्मो की जनसंख्या सात लाख के आस-पास है। यह बड़ा या विशाल नहीं है, पर उसे देखने के लिए दो दिन काफ़ी कम थे । एक कहावत है कि जिसने पॉलेर्मो देखा हो पर मोंरिआले न जाए, बह अजान आता और मूर्ख ही चला जाता है । पॉलेर्मो से बाहर, आठ किलोमीटर दूर मोंरिआले एक पृथक बस्ती है । इसकी विशेषता एक कैथेड्रिल है - इसे सजाने के लिए लोग पॉलेर्मो वालों के साथ एक प्रतियोगिता किया करते थे। हालाँकि बाहर से पलेर्मो का बेहतर लगा, कुल-मिलाकर मोंरिआले ही जीतता है, क्योंकि इसका सारे का सारा अंदरूनी हिस्सा सोने की पच्ची्कारी से ढँका हुआ था जिसका जोड़ नहीं है । दोपहर के बाद रिमझिम होती वर्षा में हमने ऐतिहासिक केंद्र की सैर की । हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि जो इमारतें दिखने में तो शानदार थीं पर बहुत मैली थीं । कॉपुसिन मोंक्स का क्रिप्ट को देखना एक भयानक अनुभव था मेरे लिए। १६वीं सदी में एक साधु ने देखा कि यहाँ लाश गल नहीं रही थी। उसने इस घटना की घोषणा की कि यह ईश्वर का काम होगा । इसके अनुसार १८८० तक (इसके बाद परंपरा निषिद्ध कर दी गई) अमीर शहर वासियों का यह शौक था कि वे अपने शव इस मॉम्मिफ़ाइंग प्रभाव के तलघर की दीवारों पर लगवा देते थे। ८००० शवों का बड़ा भाग लगभग पंजर ही है, परंतु एक छोटी लड़की है (दो-तीन और भी हैं) जो मानो स्लीपिंग ब्युटी हो, उसकी देह पर एक भी धब्बा नहीं दिखता ।
दूसरे दिन प्राचीनकाल के वैज्ञानिक संग्रहालय से लौटकर, मैं अपने दोस्तों के साथ बंदरगाह और शहर के नये इलाके देखने गया । केवल उस समय हमें पता चला शहर को क्या हुआ था। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद शहर का पुनर्णिर्माण नहीं किया गया, बल्कि उस खंडहर हुए शहर के बाहर एक नया शहर बनवाया गया है । पचास साल के दौरान अफ़्रिका से आने वाले शरणार्थी पुराने इलाकों में बसते चले गये, इनके पास पैसा नहीं है कि अपनी इमारतों का पुनर्णिर्माण करें । हम जब घूमते-घूमते बहुत थक गये, वहीं एक बड़ी दोस्ती मधुशाला में लौटे, जिसमें दो बार पहले खाना खा चुके थे।

१४-१५-१६, मंगलवार-बुधवार-गुरुवार
खैर, अब सफर खत्म होनेवाला है, फूलो-फलो सिसिली, हमें तो जाना है । पॉलेर्मो से बुदापेश्त, दो दिन की यात्रा। इस बार जलडमरूमध्य दिन के प्रकाश में पार किया तो तेज़ बहती हवा में, विस्तार से सब कुछ की आलोचना कर सका। रेजो कलाब्रिआ में संग्रहालय देखा, पर वैसे सीधे नेपल्स तक चले, वहाँ हम रात के ग्यारह बजे पहुँचे । हमें भूख लगी इसलिए खाना ढूँढ़ते हुए इलाके में एक चक्क र लगाया। नेपलेस पॉलेर्मो की तुलना में अलग है । जालफ़रेब दोनों स्थान पर है पर नेपल्स में अत्याचार, अपराध अधिक होते हैं । पॉलेर्मो की कूचे-गलियों में डर नहीं लगा, पर यहाँ गॉरिबल्दी स्क्वायर और रेलवे स्टेशन (शहर का बदनाम हिस्सा) का वातावरण बदतर था, जैसे कि बुदापेश्त में केलेति स्टेशन रात को । अंत में एक पिज़्ज़ा ढाबा मिला - खाना खरीदकर जल्दी से होटल लौटे ।
कल का सफ़र अच्छा बीता, आज तड़के बुदापेश्त पहुँच गये ।

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