बुधवार, 14 अप्रैल 2010

आकाश तक ऊँची सेम

(अनुवाद- सास ओर्सोल्या)

किसी गाँव में एक गरीब विधवा अपने बेटे के साथ रहती थी। एक दिन की बात है कि उस विधवा ने अपने लड़के को मेले में भेजा ताकि वहाँ अपनी गाय बेचकर कुछ पैसा ले आए, जिससे वे लोग खाना खरीद सकें।
लड़का घर से गाय लेकर निकला। पर मेले तक रास्ता काफ़ी लंबा था और लड़का काफी सुस्त। कुछ देर बाद ही थक गया। तब ही उसे रास्ते में एक बूढ़ा आदमी मिला। वह लड़के को देखकर रुक गया और पूछा -
"यह गाय कहाँ ले रहे हो बेटे?"
"गाय बेचने मेले जा रहा हूँ" लड़के ने उत्तर दिया।
"ज़रा ठहरो। मेला तो यहाँ से बहुत दूर पड़ता है। गाय मुझे बेच दो और मैं तुमको बदले में एक जादुई सेम दे दूँगा। इसे बस लगाओ फ़िर देखोगे कि यह क्या बनेगी।" आदमी बोला।
एक तो लड़के का मन आगे जाने का नहीं था और दूसरे वह जादू देखने का उत्सुक भी था, उसने एक पल भी झिझके बिना सौदा मंजूर कर लिया।
लड़के घर पहुँचकर माँ को सब कुछ सुनाया। विधवा यह बात सुनकर रोने लगी और अपने बेटे की मूर्खता के कारण बहुत दुखी हुई। परन्तु लड़के ने सेम का बीज खिड़की के नीचे लगा दिया। बड़ी उत्सुकता से बिस्तर पर चढ़ा और सो गया। सुबह नींद खुलते ही उसने देखा कि बूढ़े ने सच ही कहा था। अब खिड़की के सामने एक विशाल बेल दिख रही थी। लड़का तुंरत बाहर निकला फ़िर देखा कि उसकी सेम विशाल ही नहीं थी बल्कि ठीक आकाश तक बढ़ी हुई है। उसने तय किया कि सेम की चोटी तक चढ़ेगा। बहुत लंबे समय चढ़ता रहा, चढ़ता ही रहा, अंत में आकाश में एक छेद दिखाई पड़ा। लड़का छेद उस पार निकल गया। उसे उधर एक बड़ा सा महल दिखा। लड़का अन्दर चला गया। महल में उसे केवल एक औरत मिली। उसने लड़के को अच्छी तरह खिलाया-पिलाया। कुछ देर बाद भयंकर गड़गड़ाहट सुनाई दी। औरत बोली-
"मेरे दैत्य पति घर आ रहे हैं। तुमको छिपना पड़ेगा, वरना यहाँ मिलते ही वे तुमको तुरंत खा जाएँगे।"
लड़का बहुत डर गया था, पर औरत ने उसको पलंग के नीचे अच्छी तरह से छिपा दिया. उसको छिपाते ही दैत्य पहुँच आया और बोला-
"मनुष्य की गंध, कौन है यहाँ।"
"नहीं, सिर्फ़ मेरी ही गंध" औरत ने कहा.
"फ़िर खाना दो!"
औरत ने खाना-पीना लगाया और दैत्य ने खूब खाया-पिया। जब उसका पेट भर गया तो वह फ़िर से बोला-
"मनुष्य की गंध है। कोई ज़रूर है यहाँ। उसे बाहर निकालो दो ताकि मैं उसे निगल लूँ!"
"नहीं, सिर्फ़ मेरी ही गंध है," औरत ने कहा।
"फ़िर देखो हम क्या ले आए हैं।" दैत्य बोला और मेज़ पर एक मुर्गी खड़ी कर दी। फ़िर मुर्गी से कहा-
"अंडा दो!"
मुर्गी ने तुंरत सोने का एक बड़ा अंडा दिया। दैत्य ने एक बार फ़िर से कहा-
“ मुझको मनुष्य की गंध आ रही है। यहाँ सचमुच कोई ज़रूर है। उसे निकाल दो, वरना मैं तेरे टुकड़े-टुकड़े कर दूँगा!”
'नहीं, सिर्फ़ मेरी गंध आ रही है आपको। चलिए, अपनी सारंगी ले लीजिए, इसे बजाकर आप हमेशा शांत हो जाते हैं।
फ़िर दैत्य सारंगी बजाने लगा और कुछ समय बाद दोनों सो गए। तब लड़का पलंग के नीचे से निकला और जादुई मुर्गी और सारंगी ध्यान से उठाकर जल्दी बाहर चल दिया। पर वह सेम तक पहुँचा ही था कि महल से फ़िर से बड़ी गड़गड़ाहट आने लगी। दैत्य उठकर अपना सामान न मिलने पर आगबबूला हो गया। लड़के के पीछे दौड़ा और सेम पर नीचे की तरफ़ उतरने लगा। परन्तु लड़का ज़्यादा जल्दी उतरा और नीचे पहुंचकर एक कुल्हाड़ी उठा ली और सेम की बेल को काट दिया। दैत्य ऊपर से गिरते ही मर गया। लड़का मुर्गी और सारंगी लेकर घर लौटा। माँ को सोने के अंडे बेचकर बहुत पैसे मिले और इसके बाद उनकी कभी कोई परेशानी नहीं हुई। दोनों मृत्यु तक खुशी सलामत रह रहे।

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