बुधवार, 14 अप्रैल 2010

विश्वसुन्दरी इलोनका

--अनुवाद. मारिया नेज्यैशी

किसी गाँव में एक गरीब आदमी अपनी बेटी के साथ रहता था। उसकी बेटी इतनी सुन्दर थी कि लोग उसे दूर-दूर से देखने आया करते थे। सुन्दरता के कारण उसे विश्वसुन्दरी इलोनका कहा जाता था। विश्वसुन्दरी इलोनका की इतनी चर्चा थी कि उसकी कीर्ति राजा के कानों तक पहुँची। राजा युवा था और उसकी शादी भी नहीं हुई थी इसलिए विश्वसुन्दरी इलोनका की चर्चा सुनने के बाद वह रात-दिन बेचैन रहने लगा। राजा ने एक दिन अपने दरबारी चित्रकार को बुलाकर कहा-- विश्वसुन्दरी इलोनका के पास जाकर उसका चित्र बना लाओ। मैं देखना चाहता हूँ कि वह वास्तव में इतनी ही सुन्दर है जितना लोग कहते हैं। अगर वह बहुत रूपवती है तो मैं उससे शादी कर लूँगा।

चित्रकार विश्वसुन्दरी इलोनका के पास गयाए उसका चित्र बनाया और वापस आकर राजा को दे दिया।
- लीजिए महाराज जैसा यह चित्र है विश्वसुन्दरी इलोनका बिलकुल वैसी ही है । मैंने पूरे जीवन में इतनी सुन्दर लड़की कभी नहीं देखी। राजा ने चित्र देखा और देखता ही रह गया। आश्चर्य से उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। उसने तुरन्त मंत्री को बुलाया और आदेश दिया कि छ: कोमल मखमली बग्घियों के घोड़ों पर साज़ चढ़वाये जाये और विश्वसुन्दरी इलोनका को उसके पूरे परिवार के साथ दरबार लाया जाये।
यह तो बड़ा आसान काम था जिसके लिए एक ही बग्घी काफ़ी होती क्योंकि विश्वसुन्दरी इलोनका के पिता के अलावा उसका कोई दूसरा न था। इलोनका को प्यार से बग्घी में बिठाया गया। पिता गाड़ीवान के पास बैठा और सब लोग राजधानी की तरफ़ चल दिये। वे कभी धीरे-धीरे और कभी तेज़ चले जा रहे थे कि कुछ समय बाद उन्होंने अपने को एक बड़े घने जंगल में पाया। वे जंगल के बीचों बीच थे कि अचानक सामने एक बूढ़ी औरत अपनी बेटी के साथ घ् टपक़ी। दोनों चुड़ैलों जैसी कुरूप थीं। बुढ़िया ने गाड़ी चलानेवाले से कहा - रुक जाओ गाड़ीवान मुझे बग्घी में बैठने दो। सेवा के लिए तुम्हें पुरस्कार मिलेगा।
- हट रास्ते से बूढ़ी चुड़ैलए बग्घी चलानेवाले ने डाँटकर कहा। क्या तुझे मालूम नहीं कि यह राजा की बग्घी है ?
यह बात सुनते ही विश्वसुन्दरी इलोनका ने बग्घी से बाहर झाँककर कहा- अरे इन्हें बैठने दो मैं चाहती हूँ कि आज का दिन सब के लिए शुभ हो।

उसने बूढ़ी़ औरत और उसकी पुत्री को अपने सामने बिठाया और फिर गाड़ीवान से कहा कि घोड़ों को हाँके। कुछ समय बाद वे एक बड़ी नदी के किनारे पहुँचे। वहाँ उस बूढ़ी चुड़ैल ने विश्वसुन्दरी इलोनका को पकड़ा और उसकी आँखें निकाल कर जल्दी से नदी में ढकेल दिया। गरीब आदमी और कोचवान ने कुछ नहीं देखा और वे बड़े आराम से गाडी चलाते रहे। जब वे दरबार पहुँचे तो राजा बग्घी के पास दौड़कर आया कि विश्वसुन्दरी इलोनका को स्वयं उतारे। पर बुढ़िया और उसकी बेटी को देखते ही स्तब्ध रह गया।
यह कुरूप लड़की तो विश्वसुन्दरी इलोनका नहीं है - राजा भयानक क्रोध से चिल्लाया।

इलोनका का पिता और गाड़ीवान उस लड़की को देख रहे थे। स्वर्ग और पृथ्वी की शपथ खा रहे थे कि वे विश्वसुन्दरी इलोनका को ही ला रहे थे। ये कुरूप औरतें कहीं जंगल में बग्घी पर चढ़ी थीं। लेकिन बुढ़िया भी स्वर्ग-पृथ्वी की शपथ खा रही थी कि वह उस गरीब आदमी की पत्नी है तथा यह लड़की उनकी बेटी विश्वसुन्दरी इलोनका है पर रास्ते में थोड़ी सी काली हो गयी है।
- तो ठीक हैए राजा ने कहा - अब भी मैं अपना वचन निभाऊँगा। अगर पहले मैं इस लड़की से शादी करने के लिए तैयार था जब यह सुन्दर थी तो कुरूप हो जाने पर भी मैं इससे शादी करूँगा। पर तुम्हें गरीब आदमी जीवन भर गिरफ्त़ार रखा जाएगा क्योंकि तुम अपनी बेटी की सुन्दरता की रक्षा नहीं कर सके। गरीब आदमी ने समझाने के बहुत प्रयास किया और कहा कि पूरी यात्रा में बग्घी बंद रही थी उसकी बेटी पर सूरज की किरन तक नहीं पड़ी थी। इस चुड़ैल ने मेरी बेटी को कहीं गायब कर दिया है। लेकिन चुड़ैल ने राजा को इस तरह समझाया कि उसने चुड़ैल की बात पर विश्वास कर लिया और गरीब आदमी को जेल में बंद करवा दिया।

उधर विश्वसुन्दरी इलोनका नदी में बहती रही। वह बहते-बहते दूर निकल गयी फिर कहीं किनारे आ लगी। वहाँ नदी के तट पर एक मछुआरे की झोंपड़ी थी। उस झोंपड़ी में एक बूढ़ा मछुआरा और उसकी पत्नी रहते थे। आधी रात के समय किसी के कराहने की आवाज़ से वे जाग गये। मछुआरे की पत्नी बोली- सुन रहे हो ? कोई बाहर रो रहा है ?
- हाँ मुझे भी रोने की सी आवाज़ सुनाई दे रही है- मछुआरा बोला -ए जाकर देखता हूँ बाहर क्या हो रहा है। बूढ़ा मछुआरा बाहर गया तो क्या देखता है कि एक तरबतर भीगी हुई लड़की अकेली बैठी है और रो रही है। जब उसने लड़की को ध्यान से देखा तो पता चला कि उस लड़की की आँखें नहीं हैं पर उसकी फूटी आँखों से आँसुओं की बारिश हो रही है। देखो आश्चर्य की बात यह है कि आँसुओं की हर बूँद एक-एक हीरे- मोती में बदलती जा रही है।
बूढ़े मछुआरे ने पूछा - बेटी तुम कौन हो ?
विश्वसुन्दरी इलोनका ने बता दिया कि वह कौन है और उसके साथ क्या हुआ है।
दुखी न हो बेटीए मछुआरे ने कहाए हमारे घर चलो। हमारा कोई बच्चा नहीं है। तुम पूरे जीवन हमारे साथ रह सकती हो।
लड़की ने उसे धन्यवाद दिया और उसके घर आ गयी पर रोती रही। वह हमेशा रोती रहती थी और उसकी फूटी आँखों से हीरे-मोती झरते रहते थे।
एक दिन बढ़े मछुआरे ने कहा- अब तुम्हारा रोना नहीं देखा जाता। मुझे उस समय तक चैन नहीं मिलेगा जब तक मैं तुम्हारी आँखें किसी तरह वापस नहीं ला दूँगा। वह अनगिनत हीरे-मोती साथ लेकर चल दिया। नगर नगर घूमकर हीरे-मोती बेचने के प्रयास करता रहा। सब औरतें - लड़कियाँ हीरे-मोती खरीदना चाहती थीं।
अगर कोई कीमत पूछता तो मछुआरा कहता
- इन हीरे-मोतियों की कीमत है सिर्फ दो आँखें। लोग यह सुनते ही मछुआरे पर हँसने लगते थे। क्या पागल बुड्ढा है। अपनी आँखें कौन देगा ?
चलते चलते वह राजधानी जा पहुँचा और सीधे विश्वकुरूपा रानी के पास जा पहुँचा। उसे खूबसूरत जवाहरात दिखाने लगा। रानी ने उससे पूछा कि इन जवाहरात के बदले कितने सोने के थैले दूँ।
बूढ़े मछुआरे ने जवाब दिया- आपके देश में जितना भी सोना है उस सब के बदले में भी मैं ये हीरे-मोती नहीं दूँगा महारानी। लेकिन केवल दो आँखों के बदले में यह सब आपको मिल सकता है।
इतने में बूढ़ी चुड़ैल अंदर आयी तो उसकी लड़की ने उसे सब बताया और बोली- यह बूढ़ा आदमी कैसी बेमतलब बातें कर रहा है।
चलो विश्वसुन्दरी इलोनका की आँखें उसे दे दो - बूढ़ी चुड़ैल बोली। तुम्हारे लिए वे वैसे भी बेकार हैं।
महारानी की खुशी का ठिकाना न रहा। विश्वसुन्दरी इलोनका की आँखें ढूँढ़ी गयीं और बूढ़े आदमी को दे दी गयीं। जब वह चला गया तो वे सब बूढ़े पागल पर खूब हँसे।

बूढ़ा आदमी चला गया और घर पहुँचने तक कहीं भी नहीं रुका । इस दौरान विश्वसुन्दरी इलोनका बस रोया ही करती थी। उसे विश्वास न था कि आँखें कहीं भी मिल सकती हैं। परन्तु उस बूढ़े मछुआरे कोे विश्वसुन्दरी इलोनका की आँखें मिल गयी थीं। उसने विश्वसुन्दरी इलोनका के आँखें लगा दीं। और तब क्या हुआ ? विश्वसुन्दरी इलोनको की सुन्दरता लाखों गुना बढ़ गयी।
कुछ समय बीता। एक दिन बूढ़ा मछुआरा विश्वसुन्दरी इलोनका के साथ मछली पकड़ने गया। वे नदी के किनारे मछली पकड़ रहे थे कि दो शिकारी नाव चलाते हुए उधर आ निकले। एक शिकारी विश्वसुन्दरी इलोनका को देखकर चिल्लाने लगा- अरे उस लड़की को देखो ?
- हाँ! दूसरे ने कहाए वह इतनी सुन्दर है कि उसे देखकर आँखें चौंधिया जाती हैं।
यह तो विश्वसुन्दरी इलोनका है। अगर न हो तो मेरा सर्वनाश होए पहले शिकारी ने कहा।
हाँ महाराजए यह विश्वसुन्दरी इलोनका ही है।
वे दोनों शिकारी राजा और उसका मंत्री थे। तुरन्त किनारे पर आकर वे लड़की की ओर दौड़े।
राजा ने नमस्कार करके पूछा- तुम्हारा क्या नाम है सुन्दर लड़की ?


लड़की जवाब देती है- पहले मुझे विश्वसुन्दरी इलोनका कहते थे पर अब मालूम नहीं कि मैं इस नाम के लायक हूँ भी या नहीं। अपने को आइने में देखे एक साल हुआ है।
अच्छा अगर तुम्हें अपने को आइने में देखे एक साल हुआ है तो कोई बात नहीं पर मेरा विश्वास करो कि अब तुुम्हारी सुन्दरता पहले से लाखों गुना बढ़ गयी है। तुम मेरे साथ चलो।
ज़रा रुक जाओए बूढ़े मछुआरे ने कहा -इस पर मेरा भी अधिकार है।
तुम क्या कर सकते हो। मैं राजा हूँ - शिकारी ने कहा।
विश्वसुन्दरी इलोनका बोल उठी- बूढ़ा मछुआरा ठीक कह रहा है महाराज क्योंकि मेरी आँखें ढूढ़ने का श्रेय उसी को जाता है।
उस के बाद विश्वसुन्दरी इलोनका ने जो कुछ हुआ था सब बता दिया। राजा ने मंत्री को दो बग्घियाँ लाने के लिए राजधानी भेजा। एक बग्घी में राजा स्वयं विश्वसुन्दरी इलोनका के साथ बैठा दूसरी में बूढ़ा मछुआरा और उसकी पत्नी बैठ गये।
वे जल्दी ही महल पहुँचे और जैसे ही बग्घी फाटक में मुड़ी वैसे ही राजा दूर से चिल्लाया- चुड़ैलो घर से निकलो ।
बूढ़ी चुड़ैल और उसकी लड़की को तुरंत राजा के सामने लाया गया और उन दोनों को बड़ी सज़ा दी गयी। विश्वसुन्दरी इलोनका के पिता को तुरन्त जेल से छोड़ा गया। राजा ने इतनी शानदार दावत दी कि उसकी ख्याति सात समुन्दर पार तक जा पहुँची।

1 टिप्पणी: