रीता जुलि शिमोन--
एक दिन एक अंधा लड़का किसी बडे शहर में किसी सड़क के नजदीक बैठा था।
उसके पास एक पैसे इकट्ठे करने वाली टोपी थी। साथ ही एक गत्ता जिस पर यह लिखा था: “मैं अंधा हूँ, कुछ पैसे दे दीजिये”। एक आदमी उसके पास कसरत कर रहा था। उसने अपनी जेब से कुछ रुपये निकाले और उनको लड़के की टोपी मैं डाल दिया।
फिर गत्ते को मोड़ा और लिखना शुरू किया। इसके बाद वह चला गया...। प्रतिदिन लड़के की टोपी रूपयों से भर जाती, अनजान लोगों के पैसों से। कुछ दिनों के बाद कसरत करने वाला आदमी अंधे लड़के के पास लौटा। लड़के ने आदम को किसी प्रकार से पहचान लिया। उसने उससे पूछा: आपने मेरे गत्ते पर क्या लिखा था? क्या बदला था?
आदमी ने जवाब दिया: मैंने सत्य लिखा। मैंने तुम्हारे शब्दों को किसी भिन्न रूप में लिख दिया था। अभी गत्ते पर यह लिखा है:
“आज एक सुन्दर दिन है और मैं उसको देख नहीं सकता।”
इसे देखने के बाद अधिक और अधिक लोगों ने तुमको पैसे देना शुरु कर दिया था जिससे टोपी भर जाती थी।
क्या आप लोग जानते हैं अंतर पहले लिखे से दूसरे में क्या अंतर था? पहले लिखा लोगों को बताता था कि लड़का अंधा है। दूसरा लिखा लोगों को यह बताता था वे कितने भाग्यशाली हैं कि उनकी दोनों आँखें हैं। इसलिए यह अधिक प्रभावशाली था।
कहानी की सीख है कि हम लोगों को जो कुछ हमारे पास है उसके लिए भगवान को धन्यवाद देना चाहिए और जिंदगी को महत्त्वपूर्ण मानना चाहिए।
बहुत शानदार......"
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