वैरोनिका सूच--
मुझे चौदह साल की उम्र तक किताब पढ़ना बहुत पसंद नहीं था। जो स्कूल के लिए अनिवार्य था, वह मैंने पढ़ा, लेकिन इससे ज़्यादा कुछ नहीं। लेकिन जब मेरी सहेली ने जादूगरों और चुड़ैलों की किताब मुझे दी तो यह बुरी हालत एकदम बदल गयी। मैंने किताब पढ़ना शुरू कर दिया। वह किताब "हैरी पौटर" का पहला खंड थी। इसके बाद लगभग हर एक साल एक-एक "हैरी पौटर" की किताब प्रकाशित हुई। उस समय मैंने पूरा दिन अपने कमरे में बैठकर बिताया, और बहुत उत्सुकता से पढ़ा। हैरी पौटर की "जन्मदाता" जे.के. रोलिंग का लेखिका-जीवन लगभग ऐसा है, जैसा मेरा पाठक-जीवन:। शुरू में कुछ लिखकर-पढ़कर हमें बड़ी सफलता नहीं मिली, फिर बाद में यह हालत अचानक बदली, वे बड़ी लेखिका बनी, मैं जिज्ञासू पाठिका।
लेखिका का असली नाम जोआन मुर्रय है, जिसका इस्तेमाल वे निजी जीवन में करती हैं। उनका नाम किताब के प्रकाशक के द्वारा बदला गया, क्योंकि उसे डर था, कि महिला के नाम से किशोर लड़कों को किताब बेचना मुश्किल होगा। रोलिंग का जन्म १९६५। ब्रिस्टल के नजदीक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने कहा, कि अपने प्रारम्भिक स्कूल के निदेशक, बाद में हैरि पौटर के स्कूल का निदेशक, "डम्बल्डोर" हुआ। "हैरि पौटर" के ७ ग्रंथों को पढ़कर अच्छी तरह दिखाई देता है, कि कहानी के प्रमुख पात्रों का व्यक्तित्व रोलिंग के जीवन के महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों पर आधारित हैं। रोलिंग हमेशा लेखिका रहीं, लेकिन लेखों को बेचना शुरू में असंभव लगता था। १९९० में वे "हैरी पौटर" लिखने लगीं। उन्होंने कहा, कि एक बार, रेलगाडी के लम्बे सफ़र में हैरि पौटर ने जन्म लिया। कुछ समय बाद रोलिंग की माता जी की मृत्यु हुई, ऐसे कि पहले उसे रोलिंग ने हैरि पौटर के बारे में कुछ नहीं बताया। रोलिंग अपने दर्द को छिपाने के लिए पढ़ने और लिखने में डूब गयी। इस समय अत्यंत मेहनती "हैर्मिओनी" के चारित्र का जन्म हुआ। तीन साल बाद उन्होंने तलाक लिया, फिर अपनी छोटी बेटी के साथ स्कौटलैंड गयीं। वे इतनी निराश और शक्तिहीन हो गई थीं कि आत्महत्या की कोशिश की, और इस कारण अस्पताल में लायी गयीं। इन अनुभवों ने किताब में "डिमेंटर" की सृष्टि की। "डिमेंटर" रोलिंग की कहानियों के प्रेत-भूत हैं, जो इंसान के प्राण खाते जाते हैं, और प्रौढ़ उम्र के पाठकों के लिए भी सचमुच भयानक लगते हैं।
रोलिंग "हरी पौटर" प्रकाशित होने से पहले गरीब थीं। उस समय वे बड़े उत्साह से लिखा करती थीं, उनकी कहानी में रोचक और सजीव व्यक्तित्वों का सशक्त वर्णन था। अभी लेखिका बहुत धनी हो गयी हैं, और लगता है, कि वे इस के दौरान बदल गयी हैं। अमीर होने की वजह उन्हें कठिन काम से रोटी कमाने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन लगता हैं, कि आर्थिक कठिनाइयों के जगह अभी लेखक-संकट उनको दुःखित करता है। अफ़्सोस की बात है, कि अंतिम किताबें पहली पुस्तकों की तुलना में कुछ उबाऊ हो गयी हैं, वे बहुत लम्बी होती चली जा रही हैं, फिर उनमें आदर्शवादी दृष्टिकोण आ गया। सातवीं किताब का सुखान्त मुझे अमेरिका से आने वाली फिल्मों की तरह अस्वभाविक लगता है। "हैरि पौटर" रोलिंग के व्यक्तित्व का क्षेत्र है। उसमें रोलिंग का शख्सियत के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष भी प्रकट किये जाते हैं। यह भी कहा जा सकता है, कि रोइलिंग की कहानियाँ सीधी परी-कथाएँ नहीं हैं। इनमें डर, बीमारी, आतंक और मृत्यु पेश सामने आते हैं, जिन के बड़े में पड़ने से माता-पिटा अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं। पुरानी मनोवैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार "हैरि पौटर" युवे लोगों पर बुरी प्रभाव डालता हैं। कट्टर ईसाई लोगों की राय में वह शैतान का सृजन है। रोलिंग शैतान नहीं हैं, यह स्पष्ट है। वे लिखिका है, जिस के मन में - जैसे हर एक लेखक या कलाकार के मन में - एक विशेष महसूस है, यो दुनिया के घटनाओं को साहित्यिक रूप में प्रकट कर सकता है। रोलिंग बोली, कि बच्चों के लिए परी-कथाओं को लिखने से वे बीमार हो गयी हैं, इसलिए वे भविष्य में शायद नीति के प्रौढ़ विषय पर लिखेंगी। हम देखेंगे, कि वे इस तरह की गंभीर बात के लिए तैयार हैं, या नहीं।
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