इस्ताफी दैनियल--
पश्चिमी लोग सनातन धर्म के बारे में कम ही नहीं जानते हैं, उनकी जानकारी अव्यवस्थित भी है। हम सनातन धर्म को मुश्किल से समझते हैं, क्योंकि धर्म शब्द और भारतीय धर्म शब्द का मतलब और संकल्पना अलग है। तो सनातन धर्म क संकल्पना क्या है? इसमें हजारों वर्षों में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
सनातन धर्म का आधार वैदिक धर्म था। आर्य लोगों ने भारत जाकर अपना धर्म फैलाया और प्रचार किया। वैदिक धर्म की आधारभूत संकल्पना ऋत और यज्ञ में है। ऋत प्राकृतिक व्यवस्था है, और लोग ऋत संपोषित करने के लिए, यज्ञ करने के लिए जानवर की बलि करते थे। वैदिक धर्म की प्राकृतिक-प्रक्रियाओँ के देवता थे, जैसे अग्नि-आग का, इंद्र वर्षा का।
सनातन धर्म के विकास में दूसरा क्रम उपनिषद हैं। उपनिषद ग्रंथों में जो संकल्पनाएँ हैं, वे वैदिक धर्म में बदलीं। नई मान्यताएँ- ब्रह्म, आत्मन, पुनर्जन्म और कर्म हैं। ब्रह्म लोग की माया एक ऐसी शक्ति है, जो सब जगह व्याप्त है, उसका प्रभाव सब पर है। वह दुनिया का सत्व है। आत्मन लोगों का जीव है। उपनिषद कहते हैं कि ब्रह्म और उपनिषद वास्तव में एक ही हैं। यदि कोई व्यक्ति यह समझ जाएगा तो वह मोक्ष प्राप्त कर लेगा। मोक्ष का अर्थ है पुनर्जन्म के सिलसिले से छुटकारा।
ब्रह्म के बहुत रूप हैं, आकार और निराकार दोनों रूपों में हैं। देवता भी ब्रह्म का एक रूप हैं. ब्रह्म और आत्मन के योग को समझने के लिए लोगों के पास बहुत तरीके हैं। उनमें से एक भक्ति है। भक्ति ईश्वर की तरफ प्यार है। भक्ति का आधार विष्णु, शिव, राम कृष्ण आदि हो सकते हैं। लोग निश्चय कर सकते हैं कि किस देवता के समर्थक हों, किस देवता की भक्ति करें। भक्ति के अलावा दूसरा तरीका योग का अभ्यास है। योग करके लोग पहचान कर सकते हैं कि ब्रह्म और आत्मन एक ही हैं। और तीसरा मार्ग ज्ञान का है।
सनातन धर्म पश्चिमी धर्मों से अलग है। हम कह सकते हैं कि धर्म नहीं है, लेकिन जीने का तरीका, मार्ग है। यह रास्ता भिन्न होता है, पर उसका लक्ष्य एक ही है। सोचने का ऐसा तरीका पश्चिमी लोगों के लिए कुछ अजीब हो सकता है। ईसाई मुसलमान कहते हैं कि वास्तव में सच्चाई एक ही है और मोक्ष पाने का तरीका भी एक ही है। इस कारण से पश्चिमी लोग दूसरे धर्म को आसानी से नहीं पचा पाते। इतिहास में धर्म की सच्चाई के लिए लड़ाइयों के बहुत उदाहरण मिलते हैं। दुनिया में सनातन धर्म की लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है, क्योंकि बहुत से लोगों को यह अच्छा नहीं लगता कि सिर्फ एक ही तरीके से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। सनातन धर्म ईसाई धर्म और इस्लाम की तुलना में अधिक स्वतंत्रता देता है।
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