ज्वारा रीता--
मैं एक दिन अपनी सहेली के साथ दूना के तट पर टहलीय़
हमने पुल भी पार किया।
उस दिन मौसम सुहावना था।
हमने वहाँ सीपियाँ नहीं बटोरी क्योंकि वहाँ सीपिया नहीं थीं।
हमने टहलते हुए बहुत देर तक बातचीत की।
पुल के नीचे से पर्यटकों का एक जहाज गुजरा।
वे सब लोग बहुत खुश थे। नाच गा रहे थे।
सड़क पर अनेक तरह की गाड़ियाँ चल रही थीं।
बहुत शोर था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें